राम रावण युद्ध के उपरांत पाताल नरेश अहिरावण द्वारा श्री राम व लक्ष्मण के अपहरण की कथा लगभग हर हिन्दू जानता है। यह भी सर्वविदित है कि उसके बाद हनुमान जी पाताल गए जहाँ उनकी भेंट अपने पुत्र मकरध्वज से हुई। हनुमानजी ने अहिरावण को मारकर राम लक्ष्मण को मुक्त कराया व मकरध्वज को पाताल नरेश बनाकर वापस आये।
आजतक वह पाताल कहाँ है, यह रहस्य शोधकर्ताओं के लिए एक पहेली ही बना रहा। किन्तु माना जाता है कि एक साहसिक खोजी थिएडॉर मॉर्ड ने 12 जुलाई 1940 को इस रहस्य पर से पर्दा हटा दिया। मॉर्ड के अनुसार उन्होंने मध्य अमेरिका के जंगलों में एक ऐसा कबीला या फिर एक गांव जैसा दिखने वाला शहर ढूंढ़ निकाला, जहां का देवता एक वानर जैसा दिखने वाला इंसान था ! मॉर्ड ने उस जगह का नाम "लॉस्ट सिटी ऑफ मन्की गॉड" रखा !
मॉर्ड की मानें तो मध्य अमेरिका के मसक्यूशिया वर्षा जंगलों में करीब 32,000 वर्ग मील में फैली यह जगह अभी तक लोगों की नज़रों से छिपी हुई है ! अपने एक साथी लॉरेन्स के साथ 4-5 महीनों तक जंगलों में भटकने के बाद उन्हें यह जगह मिली, जहाँ की दीवारें किसी आम पत्थर से नहीं बल्कि सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई थी !
उस जगह को देखकर ऐसा लगा कि मानो किसी समय यहां कोई बड़ा साम्राज्य रहा होगा। उस शहर के चारों ओर संगमरमर की सफेद दीवारों का घेरा था ! कुछ लोगों से पूछताछ करने पर मॉर्ड को पता लगा कि यहां कोई ऐसी प्रजाति रहा करती थी जिनका देवता एक बंदर की भांति दिखने वाला मानव था !
वह ना तो पूरी तरह से मानव था और ना ही पूर्ण रूप से बंदर ! लोगों का मानना है कि शायद आज भी उस विशाल बंदर की कोई मूर्ति वहां की जमीन के नीचे दबी हुई है !
मॉर्ड को स्थानीय लोगों ने बताया कि वहां रहने वाले लोगों द्वारा उस स्थान और अपने प्रभु को पाने के लिए कई तरह के युद्ध भी लड़े गए थे और युद्ध जीतने के बाद रिवाज़ के रूप में उन्होंने उन मृत शवों को ग्रहण भी किया था ! यह सुनने में बेहद अटपटा लगता है लेकिन सच में उस समय वहां क्या हुआ था यह कोई नहीं जानता !
मॉर्ड द्वारा जिस जगह की खोज की गई थी, ठीक उसी जगह का उल्लेख रामायण में हजारों वर्षों पहले किया गया था ! रामायण के मुताबिक हनुमानजी एक समय मध्य अमेरिका जरूर गए थे ! जैसा कि सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में हनुमानजी ऐसे देवता हैं जिनका शरीर देखने में तो बिल्कुल एक बंदर की भांति, किन्तु उनकी चाल-ढाल तथा वाणी इंसानों वाली ही वर्णित है !
वर्तमान में यह पाताल लोक मध्य अमेरिका तथा ब्राजील का ही हिस्सा माना जा सकता है, क्योंकि यह पृथ्वी के ग्लोब के आधार पर भारत देश से बिल्कुल उल्टी दिशा में पड़ता है, जो जमीन से काफी नीचे है ! इसीलिए इसे पाताल लोक माना जा सकता है !
हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज भी हूबहू हनुमान जी के सामान ही दिखते रहे होंगे ! पाताल नरेश अहिरावण को मारकर राम लक्ष्मण को मुक्त करने और अपने पुत्र को वहां का राजा बनाने के बाद हनुमान जी तो वापस लौट गए, किन्तु वहां के सभी लोग मकरध्वज को अपना भगवान मानकर उनकी पूजा करने लगे ! यह एक कारण हो सकता है कि क्यों मॉर्ड द्वारा खोजी हुई उस जगह पर लोगों द्वारा एक बंदर जैसे दिखने वाले जीव की पूजा की जाती थी !
हो सकता है कि मॉर्ड द्वारा खोजे गए शहर के वासियों का देवता और हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज एक ही हों ! दूसरी ओर कुछ पुरातत्व वेत्ताओं का यह भी मानना है कि वह देवता स्वयं भगवान हनुमान ही हो सकते हैं ! अपनी खोज से वापस लौटते समय मॉर्ड अपने साथ निशानी के तौर पर काफी सारी चीज़ें लेकर आए थे,
ताकि वैज्ञानिक उनकी खोज पर यकीन कर सकें, किन्तु मॉर्ड ने अपनी खोज की सारी बातें कभी भी विस्तार से नहीं बताई थी ! ना ही उन्होंने कभी बताया कि जिस व्हाइट सिटी को उन्होंने खोज निकाला था, उस तक पहुंचने का रास्ता क्या है ? मॉर्ड ने पुरातत्वविदों से कई अनुभव बांटे लेकिन मूल संदर्भ से कुछ भी नहीं बताया !
यह भी हो सकता है कि इन तथ्यों के अलावा और भी ना जाने कितने ही अनगिनत प्रमाण होंगे जो मॉर्ड ने छिपा कर रखे थे ! कहते हैं मॉर्ड नहीं चाहते थे कि लोग उस जगह को खोज निकालें और वहां की खूबसूरती और अनमोल वस्तुओं को चुराकर वहां की चीज़ों को नष्ट करें ! सबसे हैरानी की बात तो यह है कि अचानक वर्ष 1954 में रहस्यमयी तरीके से मॉर्ड की मौत हो गई और उस जगह का हर एक राज़ उनके साथ ही खत्म हो गया !
लेकिन 2012 में आधुनिक राडार प्रौद्योगिकी द्वारा किये गए सर्वेक्षण में इस घने जंगल के अन्दर छुपे रहस्यों के विषय में आश्चर्यजनक जानकारीयां मिलीं और फिर अमेरिकी पुरातत्वविद् क्रिस फिशर के नेतृत्व में एक टीम जमीनी हकीकत जानने वहां जा पहुंची ।
पुरातत्वविदों की इस टीम ने ने होंडुरास के घने जंगल में दो शहरों की खोज की, जहाँ उन्हें पिरामिड, प्लाजा और आधे मानव व आधे जगुआर जैसी कलाकृतियां भी मिलीं ।
अभियान के नेता फिशर ने पत्रकारों को बताया कि इन दोनों शहरों में न केवल मकान, प्लाजा व संरचनाएं विद्यमान थीं, बल्कि अंग्रेजों जैसे उद्यान, घरेलू बगीचे, फसलों के खेत व सड़क आदि भी थे |
बंदरों की बहुतायत के कारण उन्होंने इसे “बन्दर भगवान का खोया शहर” होने की संभावना भी जताई जिसका 1940 में खोजी पत्रकार थिओडोर मोर्डे ने होंदुरण जंगल में खोज का दावा किया था और शताब्दियों से स्पेनिश कथा कहानियों में व पौराणिक आख्यानों में जिसका वर्णन "व्हाइट सिटी" के रूप में किया गया है ।
यह अद्भुत स्थान भारतीय वांग्मय में वर्णित पाताल लोक है अथवा नहीं, यह रहस्य तो आज भी यथावत बना हुआ है, किन्तु शोधकर्ताओं को एक विषय तो मिल ही गया है। और हमें चर्चा को..
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