श्री राधाकुंड के दक्षिण–पश्चिम कोणवर्ती दल पर श्यामवर्ण की “सुखदा –नामक कुंज” है जिसमे श्री कृष्ण वल्लभा श्री रङ्गदेवी जी नित्य निवास करती है .इनकी कमल केसर वर्ण सदृश अंग कांति है और जावा पुष्प कांति के वस्त्र धारण करती है श्री कृष्ण में उत्कंठिता –नायिका भावानात्मका रति है.
वस्त्र सज्जा – जो जवा पुष्प की भांति वस्त्र धारण करती है. इनका घर भी यावट में है इनकी वयस् १४ वर्ष २ मास ४ १/२ दिन की है इनकी माता का नाम “करुणा”, पिता का नाम “रंग सागर” और पति का नाम “वक्रेक्षण” कहा गया है.
कलियुग में श्री गौर लीला में
यह “श्री गोविंदानंद घोष” नाम से आविभूर्त हुई है
राधा माधव की सेवा
यह “चन्दन सेवा” करने में लगी रहती है वाम मध्या है
श्री रङ्गदेवी सखी का मंत्र
“श्री रां रंगदेव्यै स्वाहा”
श्री रङ्गदेवी सखी का ध्यान
“राजीव-किंजल्क-समानवर्ण, जवाप्रसुनोपम–वाससाढयाम |
श्रीखंडसेवा सहितां वृजेन्दसूनोर्भजे रासग रंग्देवीम” ||
“जिनकी अंगकांति कमल केसर के वर्ण समान है जो जवा पुष्प की भांति वस्त्र धारण करती है जो श्री कृष्ण की चन्दन सेवा में निरता है उन रास गति शिला (नृत्यमय गति युक्ता) श्री रङ्गदेवी जी का मै ध्यान करती हूँ.”
श्री रङ्गदेवी सखी-यूथ
“कल्कंठी, शशिकला, कमला, प्रेममंजरी
माधवी, मधुरा, कम्लता, कन्दर्पसुंदरी”
कलकंठी,शशिकला,कमला प्रेम मंजरी माधवी मधुरा काम लता और कन्दर्प सुंदरी ये आठ सखियाँ श्री रंग देवी के यूथ में प्रधान है.
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