Monday 6 June 2016

सांप से निर्भय व् भगाने का मन्त्र :-


कुछ ऐसे नियम हमारे ऋषियों ने बताया है जिसे पालन मात्र से ही आप सर्प से निर्भय रह सकते है।
१ - प्रतिदिन प्रात: खाली पेट नीम के पांच पत्ते चबाकर खाते रहें तो सर्पविष से हानी नहीं होती।
२ - घरों में बारहसिंगे का सींग लटका दे तो सर्प नहीं आयेगा।
३ - गन्धक अथवा हरमल की धूनी से सर्प भाग जाता है।
४ - मसूर की दाल के साथ नीम के पत्तें खानेवाले को सर्प नहीं काटता।
५ - साँप राई से बहुत ही डरता है, यदि उसके बिल में राई और जलमिश्रित नौसादर डाल दिया जावे तो वह त्तत्काल उस जगह को त्याग देता है।
६ - सफेद प्याज के पास सर्प नहीं रहता।
७ - कार्बोलिक एसिड का लकीर को सर्प उल्लंघन नहीं करता , यदि उसपर इसे डाल दिया जावे तो वह अपना प्राण त्याग देगा।
___/\___ ध्यान रहें…. १ से ६ तक नुस्खा अहिंसा को नजर रखते हुए ऋषि ने बताया है ___/\___
सांप को भागने का मन्त्र :-
यदि किसी को अपने आस-पास सर्पों का भय हो, तो इस प्रयोगों में से किसी एक अथवा सभी का उपयोग कर उक्त भय से मुक्त हो सकते हैं ।
निम्न मन्त्र का पाठ करें –
“नर्मदायै नमो प्रातः, नर्मदायै नमो निशि ।
नमोऽस्तु ते नर्मदे !
तुभ्यं, त्राहि मां विष-सर्पतः ।।
सर्पाय सर्प-भद्रं ते, दूरं गच्छ महा-विषम् ।
जनमेजय-यज्ञान्ते, आस्तिक्यं वन्दनं स्मर ।।
आस्तिक्य-वचनं स्मृत्वा, यः सर्पो न निवर्तते ।
भिद्यते सप्तधा मूर्घ्नि, शिंश-वृक्ष-फलं यथा ।।
यो जरुत्कारुण यातो, जरुत्-कन्या महा-यशाः ।
तस्य सर्पश्च भद्रं ते, दूरं गच्छ महा-विषम् ।।
दोहाई राजा जनमेजय !
दोहाई आस्तीक मुनि की !
दोहाई जरुत्कार की ! ।”
पीली सरसों हाथ में लेकर सरसों पर फूँक मारकर ३ बार हथेली पर ताली बजावे । ऐसे ही क्रिया करते हुए ७ बार सरसों घर में बिखेर दें ।
हरिद्वार में मनसा देवी है, उन तपस्वनी देवी सुपुत्र आस्तिक मुनि |
आस्तिक मुनि ने सर्पों को परीक्षित राजा के बेटे जन्मेजेय के सर्प यज्ञ में
जलने से बचाया था |
सर्पों ने आस्तिक मुनि को वरदान दिया था कि महाराज जहाँ आपका नाम लिया जायेगा वहाँ हम उपद्रव नही फैलायेंगे, वहाँ हम अपना जहर नही फैलायेंगे |
तो आज भी अगर कहीं सांप आ जाते है और सांप का डर हो तो
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" मुनि राजम अस्तिकम नमः"
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जप करें वहाँ सांप नही आयेगा... आया भी हो तो ये मन्त्र बोलो चला जायेगा |

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