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रामसेतु (Ramasetu) एक आश्चर्यजनक ऐतिहासिक पक्ष है समुद्र में इन चट्टानों की गहराई सिर्फ़ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है।जो 1.5 से 2.5 मीटर तक पतले कोरल और पत्थरों से भरा पड़ा है।
श्री राम के आदेशानुसार नल तथा नील ने राम सेतु को बनाने के लिए समुद्र के किनारे पर भूमि का अवलोकन शुरू किया तथा पुल बनाने की प्रक्रिया को चार चरण में विभाजित किया गया।
१. सर्वेक्षण
२. कार्य योजना
३. क्रियान्वयन
४. समापन
फिर नल के नियंत्रण में समस्त वानर सेना ने राम सेतु का निर्माण शुरू कर दिया।
महर्षि वाल्मीकि ने युद्ध काण्ड में ६.२२.५०-७२ सेतु में नल द्वारा प्रयोग की गयी सामग्री बताई है जिसमे सभी प्रकार के वृक्षों की लकड़ी प्रयोग की गयी साल वृक्ष, अशोक, आम, बांस, अश्वकर्ण, धावा, अर्जुन , पल्म्यरा, तिलक, सप्त्पूर्ण, कर्णिका इत्यादि।
आप विडियो में एनीमेशन द्वारा देख सकते हैं जिसमे सबसे पहले वो वानर जो कि अधिक बलवान थे उन्होंने हाथी के आकर की चट्टानों को ढोकर समुद्र तल में स्थापित किया। फिर बड़ी बड़ी लकड़ियों को उन चट्टानों के ऊपर रखा गया इसके बाद बड़े पत्थरों को फिर तैरने वाले छोटे पत्थरों को रखा गया इस प्रकार सेतु की नींव तैयार की गयी।
इस तरह से राम सेतु को कई परतों में बनाया गया।
७००० हज़ार साल में इस सेतु के चारों ओर समुद्र कि अत्यधिक रेत चिपक जाने से इसका निचला हिस्सा रेत कि चट्टान की तरह दिखता है पर यदि इसकी खुदाई की जाए तो नल द्वारा बनायीं गयी सेतु की नींव की लकड़ी तथा चट्टानों की परतें देखी जा सकती हैं।
राम सेतु में मूँगा चट्टाने मुश्किल से 1 से 2.5 मीटर की मिली है, बाकी भाग समुद्री रेत है। ये चट्टाने मूँगे के गोल, छोटे टुकडो जैसे है।
ऐसा लगता है कि इन टुकडो को कही और से लाकर यहाँ रखा गया है।
रामायण के अनुसार पुल की पूर्ण लम्बाई १०० योजन तथा चौड़ाई १० योजन थी यानि इसका 10 :1 अनुपात था। वर्तमान में इसकी 35 KM लम्बाई तथा 3.5 KM चौड़ाई है जिसका भी 10 :1 अनुपात है।
वर्तमान में राम सेतु समुद्र तल से 2 मीटर नीचे है world oceanographic report के अनुसार पिछले 5000 सालों में समुद्र तल का स्तर 9 फीट तक बढ़ा है।
यानि 7000 साल पहले इसका निर्माण किया गया तब समुद्र का तल 9 फीट नीचे था।
महर्षि वाल्मीकि रामसेतु की प्रशंसा में कहते हैं -
अशोभतमहान् सेतु: सीमन्तइवसागरे।
वह महान सेतु सागर में सीमन्त (मांग) के समान शोभित था।
सनलेनकृत: सेतु: सागरेमकरालये। शुशुभेसुभग: श्रीमान् स्वातीपथइवाम्बरे॥
मगरों से भरे समुद्र में नल के द्वारा निर्मित वह सुंदर सेतु आकाश में छायापथ के समान सुशोभित था। नासा के द्वारा अंतरिक्ष से खींचे गए चित्र से ये तथ्य अक्षरश: सत्य सिद्ध होते हैं।
जय जय श्री राम!!!
रामसेतु (Ramasetu) एक आश्चर्यजनक ऐतिहासिक पक्ष है समुद्र में इन चट्टानों की गहराई सिर्फ़ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है।जो 1.5 से 2.5 मीटर तक पतले कोरल और पत्थरों से भरा पड़ा है।
श्री राम के आदेशानुसार नल तथा नील ने राम सेतु को बनाने के लिए समुद्र के किनारे पर भूमि का अवलोकन शुरू किया तथा पुल बनाने की प्रक्रिया को चार चरण में विभाजित किया गया।
१. सर्वेक्षण
२. कार्य योजना
३. क्रियान्वयन
४. समापन
फिर नल के नियंत्रण में समस्त वानर सेना ने राम सेतु का निर्माण शुरू कर दिया।
महर्षि वाल्मीकि ने युद्ध काण्ड में ६.२२.५०-७२ सेतु में नल द्वारा प्रयोग की गयी सामग्री बताई है जिसमे सभी प्रकार के वृक्षों की लकड़ी प्रयोग की गयी साल वृक्ष, अशोक, आम, बांस, अश्वकर्ण, धावा, अर्जुन , पल्म्यरा, तिलक, सप्त्पूर्ण, कर्णिका इत्यादि।
आप विडियो में एनीमेशन द्वारा देख सकते हैं जिसमे सबसे पहले वो वानर जो कि अधिक बलवान थे उन्होंने हाथी के आकर की चट्टानों को ढोकर समुद्र तल में स्थापित किया। फिर बड़ी बड़ी लकड़ियों को उन चट्टानों के ऊपर रखा गया इसके बाद बड़े पत्थरों को फिर तैरने वाले छोटे पत्थरों को रखा गया इस प्रकार सेतु की नींव तैयार की गयी।
इस तरह से राम सेतु को कई परतों में बनाया गया।
७००० हज़ार साल में इस सेतु के चारों ओर समुद्र कि अत्यधिक रेत चिपक जाने से इसका निचला हिस्सा रेत कि चट्टान की तरह दिखता है पर यदि इसकी खुदाई की जाए तो नल द्वारा बनायीं गयी सेतु की नींव की लकड़ी तथा चट्टानों की परतें देखी जा सकती हैं।
राम सेतु में मूँगा चट्टाने मुश्किल से 1 से 2.5 मीटर की मिली है, बाकी भाग समुद्री रेत है। ये चट्टाने मूँगे के गोल, छोटे टुकडो जैसे है।
ऐसा लगता है कि इन टुकडो को कही और से लाकर यहाँ रखा गया है।
रामायण के अनुसार पुल की पूर्ण लम्बाई १०० योजन तथा चौड़ाई १० योजन थी यानि इसका 10 :1 अनुपात था। वर्तमान में इसकी 35 KM लम्बाई तथा 3.5 KM चौड़ाई है जिसका भी 10 :1 अनुपात है।
वर्तमान में राम सेतु समुद्र तल से 2 मीटर नीचे है world oceanographic report के अनुसार पिछले 5000 सालों में समुद्र तल का स्तर 9 फीट तक बढ़ा है।
यानि 7000 साल पहले इसका निर्माण किया गया तब समुद्र का तल 9 फीट नीचे था।
महर्षि वाल्मीकि रामसेतु की प्रशंसा में कहते हैं -
अशोभतमहान् सेतु: सीमन्तइवसागरे।
वह महान सेतु सागर में सीमन्त (मांग) के समान शोभित था।
सनलेनकृत: सेतु: सागरेमकरालये। शुशुभेसुभग: श्रीमान् स्वातीपथइवाम्बरे॥
मगरों से भरे समुद्र में नल के द्वारा निर्मित वह सुंदर सेतु आकाश में छायापथ के समान सुशोभित था। नासा के द्वारा अंतरिक्ष से खींचे गए चित्र से ये तथ्य अक्षरश: सत्य सिद्ध होते हैं।
जय जय श्री राम!!!
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