Sunday, 14 August 2016

अपने काम के प्रति समर्पित रहें।


एक बार एक मुनि तीर्थ यात्रा पर निकले, रास्ते में एक गांव आया। मुनि बहुत थक चुके थे। इसलिए वो एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गए। पास में ही कुछ मजदूर पत्थर से खंभे बना रहे थे।
मुनि ने मजदूरों से पूछा, तुम लोग क्या बना रहे हो? एक मजदूर ने कहा, पत्थर काट रहा हूं। मुनि ने फिर पूछा, वो तो दिखाई दे रहा है। लेकिन यहां बनेगा क्या? दूसरे मजदूर ने कहा, मालूम नहीं।
मुनि आगे चल दिए। उन्हें एक और मजदूर मिला उन्होंने उससे भी यही पूछा कि, यहां क्या बनेगा? लेकिन उस मजदूर ने भी निराशा से भरा उत्तर दिया। लेकिन अब जो मजदूर मिला उसने ठीक उत्तर दिया, मुनि ने पूछा तो उसने कहा, मुनिवर यहां मंदिर बनेगा। इस गांव में कोई बड़ा मंदिर नहीं था।
गांव के लोगों को बाहर दूसरे गांव में त्योहार मनाने जाना पड़ता था। मैं अपने हुनर से यहां मंदिर बना रहा हूं। जब मैं पत्थरों पर छैनी चलाता हूं तो मुझे मंदिर की घंटी की आवाज सुनाई देती है। मैं अपने इसी काम में मगन रहता हूं। मुनि उस मजदूर के इस नजरिए से अभिभूत हो गए और उसे आशीर्वाद दिया।
जीवन आप किस तरीके से जीते हैं यह आपका रवैया तय करता है। काम को यदि आनंद के साथ किया जाए तो हमेशा परमानंद की अनुभूति होती है।
उस मजदूर को छैनी की आवाज में भी मंदिर की घंटी सुनाई दे रही थीं। यानी उसका नजरिया महान था। इसलिए वो इस काम को कर पाया। इसलिए कहते हैं कि खुशी आपके काम में नहीं, काम के प्रति आपके नजरिए में है।

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