Tuesday, 27 March 2018

माता सीता ने क्यों निगला लक्ष्मण को

माता सीता ने क्यों निगला लक्ष्मण को


एक  समय  की  बात है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम रावण का वध करके भगवती सीता के साथ अवधपुरी वापस आ गए । अयोध्या को एक दुल्हन की तरह से सजाया गया और उत्सव मनाया गया ।उत्सव मनाया जा रहा था तभी सीता जी को यह ख्याल आया की वनवास जाने से पूर्व मां सरयु से वादा किया था कि अगर पुन: अपने पति और देवर के साथ सकुशल अवधपुरी वापस आऊंगी तो आपकी विधिवत रूप से पूजन अर्चन करूंगी । 
यह सोचकर सीता जी ने लक्ष्मण को साथ लेकर रात्रि के समय सरयू नदी के तट पर गई। सीता जी ने सरयु की पूजा करने के लिए लक्ष्मण से जल लाने के लिए कहा, लक्ष्मण जी जल लाने के लिए घड़ा लेकर सरयू नदी में उतर गए। लक्षण जल भर ही रहे थे कि तभी-सरयू के जल से एक अघासुर नाम का राक्षस निकला जो लक्ष्मण जी को निगलना चाहता था। लेकिन तभी भगवती सीता ने यह दृश्य देखा और लक्ष्मण को बचाने के लिए माता सीता ने अघासुर के निगलने से पहले स्वयं लक्ष्मण को निगल लिया।
लक्ष्मण को निगलने के बाद सीता जी का सारा शरीर जल बनकर गल गया (यह दृश्य हनुमानजी देख रहे थे जो अद्रश्य रुप से सीता जी के साथ सरयू तट पर आए थे ) उस तन रूपी जल को श्री हनुमान जी घड़े में भरकर भगवान श्री राम के सम्मुख लाए। और सारी घटना कैसे घटी यह बात हनुमान जी ने श्री राम जी से बताई ।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी हंसकर बोले, "हे मारूति सुत सारे राक्षसों का बध तो मैंने कर दिया लेकिन ये राक्षस मेरे हाथों से मरने वाला नहीं है। इसे भगवान भोलेनाथ का वरदान प्राप्त है कि जब त्रेतायुग में सीता और लक्ष्मण का तन एक तत्व में बदल जाएगा तब उसी तत्व के द्वारा इस राक्षस का बध होगा। और वह तत्व रूद्रावतारी हनुमान के द्वारा अस्त्र रूप में प्रयुक्त किया जाए। हनुमान इस जल को तत्काल सरयु जल में अपने हाथों से प्रवाहित कर दो। इस जल के सरयु के जल में मिलने से अघासुर का बध हो जाएगा और सीता तथा लक्ष्मण पुन: अपने शरीर को प्राप्त कर सकेंगे ।
हनुमान जी ने घड़े के जल को आदि गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके सरयु जल में डाल दिया। घड़े का जल ज्यों ही सरयु जल में मिला त्यों ही सरयु के जल में भयंकर ज्वाला जलने लगी उसी ज्वाला में अघासुर जलकर भस्म हो गया। सीता और लक्ष्मण को पुन उनका शरीर प्राप्त हो गया।

2 comments:

  1. कहाँ से लाते हो यह बकवास। इस कथा का कोई सामाजिक महात्म्य भी है क्या? धर्म का अपमान करना बंद करो बन्धुवर! केवल सत्यान्वेषण की कथाएँ लिखो। गप्प नही।

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