Adhyatmik kahani आध्यात्मिक कहानियां
Friday, 1 April 2016
सातवी सखी – श्रीतुङ्गविद्या जी
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सातवी सखी – श्रीतुङ्गविद्या जी श्री तुङ्गविद्या सखी श्री राधाकुंड के पश्चिम-दिशावर्ती दल पर अरुण वर्ण की अति सुन्दर तुंग विद्या नन्दन ना...
राधारानी जी की छठी सखी – श्री रङ्गदेवी जी
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श्री राधाकुंड के दक्षिण–पश्चिम कोणवर्ती दल पर श्यामवर्ण की “सुखदा –नामक कुंज” है जिसमे श्री कृष्ण वल्लभा श्री रङ्गदेवी जी नित्य निवास कर...
चंपकलता जी
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चंपकलता जी इसी तरह फिर “चंपकलता जी” का वर्णन आता है. जो पाँचवी सखी है. क्योकि जितनी भी अष्टसखी है और उनकी भी जो सेविकाएँ है. सब का उद्देश्...
इन्दुलेखा जी” “अष्ट सखियों में चतुर्थ सखी” है.
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इन्दुलेखा जी” “अष्ट सखियों में चतुर्थ सखी” है. इनकी निकुंज की स्थिति बताई गई, कि राधा कुण्ड के अग्निकोण में, अर्थात पूर्व-दक्षिण कोण में ...
राधा जी की तीसरी सखी है – “चित्रा जी”
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राधा जी की तीसरी सखी है वो “चित्रा जी” है. इनके रहने का स्थान राधा जी के पूर्व में “पदमकुंज” नाम का कुंड है वे इसी में रहती है. और उनकी स...
राधा रानी जी की अष्टसखियाँ – विषाखा जी”
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ललिता जिसमें सबसे प्रधान है। दूसरी है- विषाखा जी, तीसरी है चित्राजी, चौथी है चंपकलता, उसके बाद सुदेवीजी, तुंगविद्या, इंदुलिखा,रंगदेवी है...
ललिता जी का प्राकट्य –
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एक बार राधा जी प्रसन्न हुई तो सोचने लगी कि मेरे जैसी कोई सखी तो मे उसके साथ खेलती तो इतना सोचते ही उनके तो उनके अंग से एक सखी प्रकट किया ज...
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