Sunday, 7 February 2016

मन हमारा मित्र भी है और शत्रु भी

बहुत समय पहले की बात है। एक राजा की शादी बहुत सुंदर लड़की से हुई। जब वह लड़की रानी बनकर महलों में आई तो उसे लगातार इस बात की चिंता सताने लगी कि कुछ साल बाद वह बूढ़ी हो जाएगी। संभवतः तब राजा किसी और महिला से शादी कर लेगा।
एक दिन उसने राजा से कहा, मैं कभी बूढ़ी नहीं होना चाहती। इसलिए अपने राज्य में सभी लोगों को यह आदेश दीजिए कि वे ऐसी औषधि लेकर आएं जिसके सेवन से इंसान कभी बूढ़ा न हो।
दूसरे दिन राजा ने अपनी प्रजा के लिए यह घोषणा करवा दी कि कोई व्यक्ति ऐसी औषधि लेकर आए जिसके सेवन के बाद इंसान कभी बूढ़ा न हो। उसे एक लाख स्वर्ण मुद्राएं पुरस्कार में दी जाएंगी।
इस घोषणा के बाद राजा के दरबार में दूर-दूर से लोग आए। एक हकीम ऐसी दवा लेकर आए जिससे इंसान उम्र से 20 साल तक जवान रह सकता था, लेकिन बुढ़ापा दूर करने की दवा बनाना उसके बूते से बाहर था।
एक वैद्य जंगल से ऐसी जड़ी-बूटी लेकर आए जिनके सेवन से इंसान बुढ़ापे के 40 साल बाद भी बिल्कुल जवान लग सकता था, लेकिन बुढ़ापे पर पूरी तरह नियंत्रण करना उसे भी नहीं आता था।
रानी ने हकीम और वैद्य की दवा स्वीकार नहीं की। उसके बाद भी कई लोग आए लेकिन कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो इंसान को सदा जवान रख सके।
एक दिन एक बहुत बूढ़ा व्यक्ति आया। उसने कहा, मेरी पूरी उम्र ऐसी दवा खोजने में गुजर गई जिसके सेवन से इंसान बूढ़ा नहीं होता, लेकिन मुझे इस काम में सफलता आज ही मिली है। अब मैं तो बूढ़ा हो गया, इसलिए ये दवा मेरे किसी काम की नहीं। मैं ये दवा रानी जी को देना चाहूंगा ताकि वे सदा जवान रहें।
रानी खुश हो गई। उसने वह दवा ली और वृद्ध से उसके सेवन की विधि पूछी। वृद्ध ने बताया, यह दवा एक सप्ताह तक हर रोज लीजिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जब भी दवा लें तो मन में बंदर का ख्याल नहीं आना चाहिए। अगर मन में बंदर का ख्याल आ गया तो दवा असर नहीं करेगी।
रानी ने वृद्ध की बात मान ली। उसे पुरस्कार देकर विदा किया। दूसरे दिन वह सुबह दवा लेने लगी तो उसे वृद्ध की सलाह याद आई, मन में बंदर का ख्याल नहीं आना चाहिए, लेकिन सलाह को याद करते वक्त तो बंदर का ख्याल आ रहा था।
उसने दवा नहीं ली। इसके बाद जब भी वह दवा लेने की तैयारी करती तो मन में यह विचार आता कि बंदर का ख्याल नहीं आना चाहिए। इस तरह कई साल गुजर गए और रानी कभी दवा नहीं ले सकी। धीरे-धीरे रानी बूढ़ी हो गई और एक दिन उसने सदा जवान रहने का इरादा त्याग दिया।
सबक
मन हमारा मित्र भी है और शत्रु भी। अच्छे इरादों से यह इंसान को शक्ति दे सकता है तो बुरे विचार पतन का कारण भी बन सकते हैं। मन बहुत चंचल कहा जाता है और यह सही भी है।
समझदार मनुष्य वही है जो अच्छे विचारों को मन में स्थान देकर प्रगति की ओर जाता है। बुरे विचारों वाला मन बिना लगाम का घोड़ा होता है जो खुद पर सवारी करने वाले को जरूर नुकसान पहुंचाता है।

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