1. बिस्तर में पेशाब करना :
कुछ बच्चे रात में सोते समय बिस्तर में ही मूत्र (पेशाब) कर देते हैं। यह एक बीमारी होती है। सोने से पहले रात में शहद का सेवन कराते रहने से बच्चों का निद्रावस्था में मूत्र (पेशाब) निकल जाने का रोग दूर हो जाता है।
2. पेट दर्द :
एक चम्मच शुद्ध शहद शीतल पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द को आराम मिलता है।
एक चुटकी सौंठ को थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से काफी लाभ होता है।
एक चुटकी सौंठ को थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से काफी लाभ होता है।
दो तुलसी की पत्तियां पीस लें। फिर इस चटनी को आधे चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
रात्री को सोते समय एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इसके इस्तेमाल से सुबह पेट साफ हो जाता है।
रात्री को सोते समय एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इसके इस्तेमाल से सुबह पेट साफ हो जाता है।
3. अजीर्ण :
एक गिलास पानी में एक चम्मच नींबू का रस तथा आधा चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए। इससे अजीर्ण का रोग नष्ट हो जाता है।
शहद में दो काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटना चाहिए।
अजवायन थोड़ा सा तथा सौंठ दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटें।
शहद को जरा सा गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
शहद में दो काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटना चाहिए।
अजवायन थोड़ा सा तथा सौंठ दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटें।
शहद को जरा सा गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
4. दस्त :
शहद में सौंफ, धनिया तथा जीरा का चूर्ण बनाकर मिला लें और दिन में कई बार चाटें। इससे दस्त में लाभ मिलता है।
अनार दाना चूर्ण शहद के साथ चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।
अनार दाना चूर्ण शहद के साथ चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।
5. पेट में कीड़े : अजवायन का चूर्ण एक चुटकी को एक चम्मच शहद के साथ लेना चाहिए। दिन में तीन बार यह चूर्ण लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
6. भूख न लगना :
सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, सेंधानमक इन सब चीजों को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से आधी चुटकी लेकर एक चम्मच शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका इस्तेमाल करें।
एक दो कालीमिर्च तथा दो लौंग को पीसकर शहद के साथ चाटना चाहिए।
एक दो कालीमिर्च तथा दो लौंग को पीसकर शहद के साथ चाटना चाहिए।
7. अम्लपित्त :
धनिया तथा जीरा लेकर चूर्ण बना लें और शहद मिलाकर धीरे-धीरे चाटना चाहिए। इससे अम्लपित्त नष्ट होता है।
8. कब्ज :
सौंफ, धनियां तथा अजवायन इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इस चूर्ण में से आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका सेवन करना चाहिए। इससे कब्ज दूर होती है।
9. बवासीर :
रात्रि को सोते समय एक चम्मच त्रिफला-चूर्ण या एरण्ड का तेल एक गिलास दूध के साथ लेना चाहिए। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
10. पीलिया :
त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। इससे पीलिया का रोग नष्ट हो जाता है।
गिलोय का रस 12 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार लें।
गिलोय का रस 12 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार लें।
नीम के पत्तों का रस आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
कलमी शोरा तथा जवाखार मिलाकर पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब साफ आने लगता है।
कलमी शोरा तथा जवाखार मिलाकर पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब साफ आने लगता है।
11. सिर का दर्द :
सिर पर शुद्ध शहद का लेप करना चाहिए। कुछ ही समय में सिर का दर्द खत्म हो जायेगा।
आधा चम्मच शहद और एक चम्मच देशी घी मिलाकर सिर पर लगाना चाहिए। घी तथा शहद के सूखने के बाद दोबारा लेप करना चाहिए।
आधा चम्मच शहद और एक चम्मच देशी घी मिलाकर सिर पर लगाना चाहिए। घी तथा शहद के सूखने के बाद दोबारा लेप करना चाहिए।
यदि पित्त के कारण सिर में दर्द हो तो दोनों कनपटियों पर शहद लगायें। साथ ही थोड़ा शहद भी चाटना चाहिए।
सर्दी, गर्मी या पाचन क्रिया की खराबी के कारण सिर में दर्द हो तो नींबू के रस में शहद को मिलाकर माथे पर लेप करना चाहिए।
कागज के टुकड़ों पर शहद और चूना को मिलाकर माथे के जिस भाग में दर्द हो उस भाग पर रख देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
भोजन के साथ शहद लेने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
भोजन के साथ शहद लेने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
12. रतौंधी :
शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंखों में सुबह के समय तथा रात को सोते समय लगाना चाहिए।
काजल में शहद मिलाकर बराबर लगाते रहने से भी रतौंधी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
शहद को आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग दूर होता है। आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
शहद को आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग दूर होता है। आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
13. आंख में जलन :
शहद के साथ निबौंली (नीम का फल) का गूदा मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगना चाहिए।
शुद्ध शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंख में लगायें।
शुद्ध शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंख में लगायें।
14. आंखों के रोग :
एक ग्राम गुरुच का रस तथा आधा चम्मच शहद को मिला लें। फिर इसे आंखों में नियम से रोज सलाई से लगायें। आंखों की खुजली, दर्द, मोतियाबिंद तथा अन्य सभी रोगों के लिए यह उपयोगी अंजन (काजल) है।
चार ग्राम गिलोय का रस लेकर उसमें दो ग्राम शहद मिलाकर लोशन बना लें। इसे आंखों में लगायें। आंखों के सभी रोगों में इससे लाभ होगा।
चार ग्राम गिलोय का रस लेकर उसमें दो ग्राम शहद मिलाकर लोशन बना लें। इसे आंखों में लगायें। आंखों के सभी रोगों में इससे लाभ होगा।
रोज सुबह ताजे पानी से आंखों को छप्पा (पानी की छींटे) मारकर धोना चाहिए। इसके बाद दो बूंदे नीम का रस तथा चार बूंदे शहद मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
कड़वे तेल से बना हुआ काजल शुद्ध शहद के साथ मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
15. मुंह के छाले :
तवे पर सुहागे को फुलाकर शहद के साथ छालों पर लगाना चाहिए। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
छोटी इलायची को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर शहद में मिलाकर छालों पर लगायें।
छोटी इलायची को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर शहद में मिलाकर छालों पर लगायें।
फिटकरी को पानी में घोल लें और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर कुल्ला करें। यह कुल्ला भोजन करने से पहले सुबह, दोपहर तथा शाम को करना चाहिए।
पेट में गर्मी ज्यादा हो तो त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ लेना चाहिए। केवल आंवले का चूर्ण शहद के साथ लेने से भी पेट की गर्मी शांत होती है और मुंह के छाले ठीक होने लगते हैं।
16. आवाज का बैठ जाना :
फूली हुई फिटकरी पीसकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इसमें पानी मिलाकर कुल्ला किया जा सकता है।
मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाटना चाहिए।
कुलंजन मुंह में रखकर चूसने से भी आवाज खुल जाती है।
कुलंजन मुंह में रखकर चूसने से भी आवाज खुल जाती है।
3 से 9 ग्राम बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठना) और गले के दूसरे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।
1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।
17. थूक के साथ बलगम आना :
छाती पर शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से धो लें। इससे थूक के साथ बलगम का आना बंद हो जाता है।
रात्रि को सोने से पहले अजवायन का तेल छाती पर मलें।
पिसी हुई हल्दी, अजवायन और सौंठ को मिलाकर एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें।
रात्रि को सोने से पहले अजवायन का तेल छाती पर मलें।
पिसी हुई हल्दी, अजवायन और सौंठ को मिलाकर एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें।
18. पायरिया :
मसूढ़ों तथा दांतों पर शुद्ध शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से कुल्ला करना चाहिए।
नींबू का रस, नीम का तेल तथा शहद मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करके कुल्ला कर लें।
नींबू का रस, नीम का तेल तथा शहद मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करके कुल्ला कर लें।
लहसुन, करेला, अदरक का रस निकालकर शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर रोज लगाना चाहिए। तीन-चार दिन तक लगातार मालिश करने से पायरिया तथा मसूढ़ों के अन्य रोग खत्म हो जाते हैं।
19. खांसी की बीमारी :
लाल इलायची लेकर इसे भून लें और चूर्ण बना लें, इसमें शहद मिलाकर सेवन करें।
मुनक्का, खजूर, कालीमिर्च, बहेड़ा तथा पिप्पली-सभी को समान मात्रा में लेकर कूट लें और उसमें से दो चुटकी चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें।
3 ग्राम सितोप्लादि के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटकर खाने से खांसी दूर हो जाती है।
5 ग्राम शहद में लहसुन के रस की 2-3 बूंदे मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी दूर हो जाती है।
5 ग्राम शहद में लहसुन के रस की 2-3 बूंदे मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी दूर हो जाती है।
एक नींबू पानी में उबालें फिर निकालकर कांच के गिलास में निचोड़ लें। इसमें 28 मिलीलीटर ग्लिसरीन और 84 मिलीलीटर शहद मिलाकर हिलाएं। एक-एक चम्मच चार बार पीने से खांसी बंद हो जाती है।
शहद खांसी में आराम देता है। 12 ग्राम शहद को दिन में तीन बार चाटने से कफ निकल जाता है और खांसी ठीक हो जाती है।
शहद खांसी में आराम देता है। 12 ग्राम शहद को दिन में तीन बार चाटने से कफ निकल जाता है और खांसी ठीक हो जाती है।
थोड़ी सी फिटकरी को तवे पर भून लेते हैं। इस 1 चुटकी फिटकरी को शहद के साथ दिन में 3 बार चाटने से खांसी में लाभ मिलता है।
20. काली खांसी :
सबसे पहले रोगी की कब्ज को दूर करना चाहिए। इसके लिए एरण्ड का तेल पिलाया जा सकता है। इसके बाद चिकित्सा आरम्भ शुरू करनी चाहिए। चिकित्सा के लिए शहद में लौंग के तेल की एक बूंद तथा अदरक के रस की दस बूंदे मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को देनी चाहिए।
21. दमा.
शहद में कुठार रस 4 बूंद मिलाकर दिन में 3-4 बार देना चाहिए। इससे दमा का रोग नष्ट हो जाता है।
सोमलता, कूट, बहेड़ा, मुलेठी, अडूसा के पत्ते, अर्जुन की छाल तथा काकड़ासिंगी सबका एक समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। प्यास लगने पर गर्म पानी पीयें।
सोमलता, कूट, बहेड़ा, मुलेठी, अडूसा के पत्ते, अर्जुन की छाल तथा काकड़ासिंगी सबका एक समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। प्यास लगने पर गर्म पानी पीयें।
22. पसलियों में दर्द :
सांभर सींग को पानी में घिसकर शहद के साथ मिलाकर पसलियों पर लेप करना चाहिए।
23. शक्तिवर्द्धक :
एक कप दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह के समय पीने से ताकत बढ़ती है।
24. जुकाम :
शहद और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में दो बार पीने से जुकाम खत्म हो जाता है और भूख बढ़ जाती है।
2 चम्मच शहद, 200 मिलीलीटर गुनगुना दूध और आधे चम्मच मीठे सोडे को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम पीने से जुकाम, फ्लू ठीक हो जाता है। इसको पीने से बहुत पसीना आता है पर पसीना आने पर रोगी को हवा नहीं लगने देना चाहिए।
20 ग्राम शहद, आधा ग्राम सेंधानमक और आधा ग्राम हल्दी को 80 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल कर रख लें। कुछ देर बाद जब पानी हल्का सा गर्म रह जाये तो इस पानी को सोते समय पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
25. बिच्छू का डंक :
बिच्छू के डंक मारे हुए स्थान पर शहद लगाने से दर्द कम हो जाता है।
26. जलन :
नियमित सुबह 20 ग्राम शहद ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करने से जलन, खुजली और फुन्सियों जैसी चर्म रोग जड़मूल से समाप्त हो जाती है।
शरीर के जले हुए अंगो पर शहद लगाने से जलन दूर होती है। जख्म होने पर शहद को तब तक लगाते रहे जब तक कि जख्म ठीक ना हो जायें। जख्म ठीक होने के बाद सफेद निशान बन जाते हैं। उन पर शहद लगाकर पट्टी बांधते रहने से निशान मिट जाते हैं।
शरीर के जले हुए अंगो पर शहद लगाने से जलन दूर होती है। जख्म होने पर शहद को तब तक लगाते रहे जब तक कि जख्म ठीक ना हो जायें। जख्म ठीक होने के बाद सफेद निशान बन जाते हैं। उन पर शहद लगाकर पट्टी बांधते रहने से निशान मिट जाते हैं।
27. शीघ्रपतन :
स्त्री-संग सम्भोग से एक घण्टा पहले पुरुष की नाभि में शहद में भिगोया हुआ रूई का फोहा रखने से पुरुष का जल्दी स्खलन नही होता अर्थात पुरुष का लिंग शिथिल नहीं होता है।
28. बलगम युक्त खांसी :
5 ग्राम शहद दिन में चार बार चाटने से बलगम निकल कर खांसी दूर होती है।
शहद और अडूसा के पत्तों का रस एक-एक चम्मच तथा अदरक का रस आधा चम्मच मिलाकर पीने से खांसी नष्ट हो जाती है।
शहद और अडूसा के पत्तों का रस एक-एक चम्मच तथा अदरक का रस आधा चम्मच मिलाकर पीने से खांसी नष्ट हो जाती है।
29. उल्टी :
गुड़ को शहद में मिलाकर सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
उल्टी होने पर शहद को चाटने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
शहद में लौंग का चूर्ण मिलाकर चाटने से गर्भावस्था में उल्टी आने से छुटकारा मिलता है।
उल्टी होने पर शहद को चाटने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
शहद में लौंग का चूर्ण मिलाकर चाटने से गर्भावस्था में उल्टी आने से छुटकारा मिलता है।
30. रक्तविकार :
बकरी के दूध में आठवां हिस्सा शहद मिलाकर पीने से खून साफ हो जाता है। इसका प्रयोग करते समय नमक और मिर्च का त्याग कर देना आवश्यक है।
31. यक्ष्मा या टी.बी. :
ताजा मक्खन के साथ शहद का सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
शहद में करेले का चूर्ण डालकर चाटना चाहिए।
शहद में करेले का चूर्ण डालकर चाटना चाहिए।
32. हाईब्लडप्रेशर :
दो चम्मच शहद और नींबू का रस एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में दो से तीन बार सेवन करने से हाई बल्डप्रेशर में लाभ होता है।
33. कान दर्द :
कान में शहद डालने से कान की पीव और कान का दर्द नष्ट हो जाता है।
कान में कनखजूरा सदृश जीव-जंतु घुस गया हो तो शहद और तेल मिलाकर उसकी कुछ बूंदे कान में डालने से लाभ होता है।
कान में कनखजूरा सदृश जीव-जंतु घुस गया हो तो शहद और तेल मिलाकर उसकी कुछ बूंदे कान में डालने से लाभ होता है।
34. आंख आना :
1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाऐं।
सोनामक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और सांय लगाए।
चन्द्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
सोनामक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और सांय लगाए।
चन्द्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
35. आंख के सभी रोगों में :
लगभग 7 से 14 मिलीलीटर बकुल रस को शहद के साथ लेना चाहिए। इससे आंखों के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
लगभग 7 से 14 मिलीलीटर धान्यक रस को 5 से 10 ग्राम शहद के साथ लेना चाहिए।
लगभग 2 से 6 ग्राम त्रिफला चूर्ण 12 से 24 ग्राम शहद से दिन में 3 बार लेना चाहिए।
36. आंखों के रोहे, फूले :
आंख के फूले मे अपमार्ग की जड़ को शहद में घिसकर लगाने से आंख के फूले समाप्त हो जाते हैं।
37. आंखों का दर्द :
आंखों में किसी चीज के गिर जाने से अगर दर्द हो रहा हो तो शहद या एरण्ड तेल (कस्टर आयल) की 1 से 2 बूंद आंखों मे डालने से आंख में गिरी हुई चीज बाहर आ जायेगी और आंखों की चुभन दूर हो जायेगी।
38. आंखों का नासूर :
असली और साफ शहद को आग पर गर्म करने के लिये रख दे और इसमे समुद्रझाग पीसकर मिला दे फिर आग पर से उतार लें। इसकी बत्ती बनाकर आंखों के नासूर में रखने से आंखों का नासूर पूरी तरह भरकर ठीक हो जाता है।
39. मलेरिया का बुखार :
शुद्ध शहद 20 ग्राम, सैंधानमक आधा ग्राम, हल्दी आधा ग्राम को पीसकर 80 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी में डालकर रात को पीने से मलेरिया का बुखार और जुकाम ठीक हो जाता है।
40. फेफड़ों के रोग :
फेफड़ों के रोगों में शहद लाभदायक रहता है। श्वास में और फेफड़ों के रोगों में शहद अधिक प्रयोग करते हैं।
41. दांतों का दर्द :
1 चम्मच शहद में, लहसुन का रस 20 बूंद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम चाटें। इससे पायरिया, मसूढ़ों की सूजन, दर्द, मुंह की दुर्गन्ध आदि खत्म होती है।
मसूढ़ों में सूजन व खून निकलने के कारण दांत हिलने लगते हैं। शहद अथवा सरसों के तेल से कुल्ला करने से मसूढ़ों का रोग नष्ट हो जाता है।
मसूढ़ों में सूजन व खून निकलने के कारण दांत हिलने लगते हैं। शहद अथवा सरसों के तेल से कुल्ला करने से मसूढ़ों का रोग नष्ट हो जाता है।
42. इन्फ्लुएन्जा :
शहद में पीपल का 1 चुटकी चूर्ण मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।
2 चम्मच शहद, 200 मिलीलीटर गर्म दूध, आधा चम्मच मीठा सोड़ा मिलाकर सुबह और शाम को पिलाने से इन्फ्लुएन्जा पसीना आकर ठीक हो जाता है।
2 चम्मच शहद, 200 मिलीलीटर गर्म दूध, आधा चम्मच मीठा सोड़ा मिलाकर सुबह और शाम को पिलाने से इन्फ्लुएन्जा पसीना आकर ठीक हो जाता है।
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