गाय का दूध ही नहीं मूत्र भी अमृत होता है और इनके सेवन से आपके आसपास कोई बीमारी फटकती भी नहीं है और आप स्वस्थ रहते हैं. ये बातें प्राचीन काल से ही कही जा रही हैं. गौमूत्र की महत्ता की चर्चा तो पौराणिक कथाओं से लेकर वर्तमान में आयुर्वेद तक होती रही है.
हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि गौमूत्र में न सिर्फ रोग विनाशक तत्व पाए जाते हैं बल्कि सोना भी पाया जाता है इसीलिए इसके सेवन से शरीर को रोग प्रतिरोधी क्षमता मिलती है. गौमूत्र में सोना पाए जाने की बात को अब तक भले ही अतिश्योक्ति माना जाता रहा हो लेकिन अब तो वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है.
हाल ही में जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (जेएयू) के वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण के बाद पाया कि गाय के मूत्र में सोने के कण होते हैं. ये प्रयोग गिर की गायों पर किया गया था. आइए जानें वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में क्या पाया.
गौमूत्र में होता है सोनाः
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने गिर की 400 गांवों के मूत्र के विश्लेषण के बाद पाया कि उसमें सोने के अंश हैं. गाय के एक लीटर मूत्र में 3 मिलीग्राम से लेकर 10 मिली ग्राम तक सोने के कण पाए गए. ये सोना आयोनिक रूप में मिला, जोकि पानी में घुलनशील गोल्ड साल्ट है.
जेएयू के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर बीए गोलाकिया के नेतृत्व में रिसर्चर्स की टीम ने गाय के मूत्र के सैंपल्स का विश्लेषण करने के लिए गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्टोरमेट्री (जीसी-एमसी) विधि का प्रयोग किया.
जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को मिला गिर की गायों के मूत्र के सैंपल में सोना
डॉक्टर गोलाकिया ने कहा, 'अब तक हमने गाय के मूत्र में सोने की मौजूदगी और इसके चिकित्सीय गुणों के बारे में हमारे प्राचीन ग्रंथों से सुना था.
इस बात को प्रमाणित करने के लिए कोई विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण मौजूद नहीं था इसलिए हमने गांव के मूत्र पर रिसर्च करने का निर्णय लिया. हमने गिर गाय के मूत्र के 400 सैंपल्स का विश्लेषण किया और उसमें सोने का अंश मिला.'
गोलाकिया ने कहा कि गाय के मूत्र में पाए जाने वाले सोने को निकाला जा सकता है और कैमिकल प्रक्रिया से उसे ठोस बनाया जा सकता है. दिलचस्प बात ये है कि इन वैज्ञानिकों ने न सिर्फ गायों में बल्कि भैंसों, भेड़ों और बकरियों के मूत्र के सैंपल का भी विश्लेषण किया लेकिन सोना सिर्फ गाय के मूत्र में ही मिला. साथ ही इन जानवरों में से सिर्फ गाय के मूत्र में ही एंटी-बायोटिक तत्व पाए गए.
गिर की गायों के मूत्र में पाए गए 5100 तत्वों में से 388 तत्व औषधीय रूप से जबर्दस्त कीमती हैं और इनसे कई असाध्य बीमारियां ठीक हो सकती हैं. गिर की गायों के मूत्र के सैंपल का विश्लेषण करने के बाद अब जेएयू के वैज्ञानिक देश की सभी 39 देशी प्रजातियों की गायों के मूत्र के सैंपल्स का विश्लेषण करेंगे.
क्या होती है गिर गाय की खासियतः
गिर की गायें गुजरात के गिर के जंगलों और सौराष्ट्र में पाई जाती हैं. इन्हें इनकी मजबूत कद-काठी और गायों की अन्य प्रजातियों से कहीं ज्यादा दूध देने के लिए जाना जाता है. इन गायों की डिमांड इतनी ज्यादा है कि एक गिर गाय की औसत कीमत 60 हजार रुपये से शरू होती है जो कई बार लाखों में भी चली जाती है.
गिर गाय एक लैक्टेशन (दूध देने) चक्र के दौरान अधिकतम 5 हजार लीटर तक दूध दे सकती है, जोकि औसतन 2000 से 2500 लीटर तक होता है. हाल ही में गिर गायें तब चर्चा में आई थीं जब गुजरात ने इन्हें मध्य प्रदेश को देने से मना कर दिया था. इससे पहले गुजरात सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गिर के शेरों को भी मध्य प्रदेश को देने से मना कर चुका है.
हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि गौमूत्र में न सिर्फ रोग विनाशक तत्व पाए जाते हैं बल्कि सोना भी पाया जाता है इसीलिए इसके सेवन से शरीर को रोग प्रतिरोधी क्षमता मिलती है. गौमूत्र में सोना पाए जाने की बात को अब तक भले ही अतिश्योक्ति माना जाता रहा हो लेकिन अब तो वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है.
हाल ही में जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (जेएयू) के वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण के बाद पाया कि गाय के मूत्र में सोने के कण होते हैं. ये प्रयोग गिर की गायों पर किया गया था. आइए जानें वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में क्या पाया.
गौमूत्र में होता है सोनाः
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने गिर की 400 गांवों के मूत्र के विश्लेषण के बाद पाया कि उसमें सोने के अंश हैं. गाय के एक लीटर मूत्र में 3 मिलीग्राम से लेकर 10 मिली ग्राम तक सोने के कण पाए गए. ये सोना आयोनिक रूप में मिला, जोकि पानी में घुलनशील गोल्ड साल्ट है.
जेएयू के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर बीए गोलाकिया के नेतृत्व में रिसर्चर्स की टीम ने गाय के मूत्र के सैंपल्स का विश्लेषण करने के लिए गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्टोरमेट्री (जीसी-एमसी) विधि का प्रयोग किया.
जूनागढ़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को मिला गिर की गायों के मूत्र के सैंपल में सोना
डॉक्टर गोलाकिया ने कहा, 'अब तक हमने गाय के मूत्र में सोने की मौजूदगी और इसके चिकित्सीय गुणों के बारे में हमारे प्राचीन ग्रंथों से सुना था.
इस बात को प्रमाणित करने के लिए कोई विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण मौजूद नहीं था इसलिए हमने गांव के मूत्र पर रिसर्च करने का निर्णय लिया. हमने गिर गाय के मूत्र के 400 सैंपल्स का विश्लेषण किया और उसमें सोने का अंश मिला.'
गोलाकिया ने कहा कि गाय के मूत्र में पाए जाने वाले सोने को निकाला जा सकता है और कैमिकल प्रक्रिया से उसे ठोस बनाया जा सकता है. दिलचस्प बात ये है कि इन वैज्ञानिकों ने न सिर्फ गायों में बल्कि भैंसों, भेड़ों और बकरियों के मूत्र के सैंपल का भी विश्लेषण किया लेकिन सोना सिर्फ गाय के मूत्र में ही मिला. साथ ही इन जानवरों में से सिर्फ गाय के मूत्र में ही एंटी-बायोटिक तत्व पाए गए.
गिर की गायों के मूत्र में पाए गए 5100 तत्वों में से 388 तत्व औषधीय रूप से जबर्दस्त कीमती हैं और इनसे कई असाध्य बीमारियां ठीक हो सकती हैं. गिर की गायों के मूत्र के सैंपल का विश्लेषण करने के बाद अब जेएयू के वैज्ञानिक देश की सभी 39 देशी प्रजातियों की गायों के मूत्र के सैंपल्स का विश्लेषण करेंगे.
क्या होती है गिर गाय की खासियतः
गिर की गायें गुजरात के गिर के जंगलों और सौराष्ट्र में पाई जाती हैं. इन्हें इनकी मजबूत कद-काठी और गायों की अन्य प्रजातियों से कहीं ज्यादा दूध देने के लिए जाना जाता है. इन गायों की डिमांड इतनी ज्यादा है कि एक गिर गाय की औसत कीमत 60 हजार रुपये से शरू होती है जो कई बार लाखों में भी चली जाती है.
गिर गाय एक लैक्टेशन (दूध देने) चक्र के दौरान अधिकतम 5 हजार लीटर तक दूध दे सकती है, जोकि औसतन 2000 से 2500 लीटर तक होता है. हाल ही में गिर गायें तब चर्चा में आई थीं जब गुजरात ने इन्हें मध्य प्रदेश को देने से मना कर दिया था. इससे पहले गुजरात सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गिर के शेरों को भी मध्य प्रदेश को देने से मना कर चुका है.
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