Friday, 15 July 2016

शिष्टता सबसे बड़ी सिफारिश है


एक व्यक्ति ने एक नौकरी के लिए विज्ञापन छपाया। वे अपने दफ्तर में एक सहायक चाहते थे। विज्ञापन के उत्तर में लगभग पचास व्यक्तियों ने अर्जियां दीं। बहुत-से लोग उनसे मिलने आये। सबसे बातचीत हुई। इंटरव्यू होने के बाद उनके एक मित्र ने पूछा- ‘ आपने एक ऐसे व्यक्ति को क्यों चुना है, जिसके पास कोई भी सिफारिखी खत नहां है? किसी ने उसके पक्ष में कुछ भी नहीं कहा है?’
वे बोले- ‘आप गलत सोच रहे हैं। कई बातों ने उस युवक की सिफारिश की है। जब वह इंटरव्यू के लिए आया तो उसने पावदान पर पांव पोंछे। अंदर प्रवेश करने पर उसने दरवाजा बंद कर दिया। इससे यह मालूम हुआ कि इसे कायदे- कानून का ज्ञान है। उस लंगड़े आदमी को खड़ा देखकर उसने फौरन अपनी सीट छोड़ दी। इससे साफ जाहिर है कि वह शिष्ट और दूसरों का ध्यान रखने वाला है। फर्श पर पड़ी हुई उस पुस्तक को उसने सावधानी से उठाया और मेरी मेज पर रख दिया, जब कि अन्य व्यक्ति उस पुस्तक के प्रति लापरवाह रहे। जब मैंने उससे बातें कीं तो मैंने ध्यानपूर्वक देखा कि उसके वस्त्र स्वच्छतापूर्वक इस्तरी किए हुए थे, उसके बाल सफाई से संवारे हुए थे और उसके दांत दूध की तरह स्वच्छ चमकदार थे। शराब, पान, सिगरेट के निशान न थे, जब उसने अपना नाम लिखा तो मैंने देखा कि उसके नाखून स्वच्छ थे। शरीर की सफाई का उसे पूरा-पूरा ध्यान था। उसने अंदर आने के लिए धक्का-मुक्की या गड़बड़ी नहीं की, बल्कि शांतिपूर्वक अपनी बारीकी प्रतीक्षा करता रहा। सद्व्यवहार के ये शिष्ट कार्य और आकर्षक आदतें हजारों सिफारिशी पत्रों से अधिक मूल्यवान हैं। मैं किसी लड़के को दस मिनट सावधानी से देखकर उसके चरित्र को पहचान सकता हूं, जितना कोई भी सिफारिशी पत्र उसके विषय में स्पष्ट नहीं कर सकता।‘
#शिक्षा- मनुष्य उच्चता और शिष्टता उसके व्यवहार से अपने- आप प्रकट होती रहती है। हमारी आदतें ही हमारी आंतरिक श्रेष्ठता स्पष्ट करती है।

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