Friday 5 August 2016

सिंधु घाटी सभ्यता मे मापन पद्धति_

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हडप्पा ओर मोहन जोदडो ये दोनो ही सिंधु घाटी के स्थान है। हडप्पा पंजाब प्रदेश के उस भाग मे है जो आजकल पाकिस्तान मे है,ओर मोहन जोदडो सिन्ध मे सिन्धु नदी के किनारे कराची से २०० मील के उत्तर मे है।
इन्ही हडप्पा और मोहनजोदडो स्थानो पर कुछ ऐसे छोटे छोटे आयताकार पिण्ड मिले है,जो स्पष्टतया तौलने के बाट थे।
चित्र क्रमांक - १ मे सिंधु सभ्यता के तौलने को बाट देखे!
इनमे कुछ चिकने पत्थर के भी थे।इनमे से कुछ बाट बैलनाकार भी थे परन्तु अधिकाश चौकोर घनाकृति के थे।किसी बाट पर कुछ अंकित न था।
हेमी(hemmy) ने इन बाटो पर सर्वप्रथम कार्य आरम्भ किया ओर इनहे तौला।मोहनजोदडो की बाटे की तौले तुलना सारणी के
चित्र क्रमांक - २ मे देखे__
इस सारणी से यह स्पष्ट है कि यदि "ग"(c) वर्ग छोड दिया जाय तो सब १,२,४,८,१६,३२,६४,१६०,२००,३२०,६४० ओर१६०० के अनुपात मे है।हमारा आज कल का सैर लगभग २ पौड या ९३३ ग्राम का है।इस प्रकरण मे N बाट का तौल लगभग ३/२ सेर या ३ पौंड की ठहरती है।मोहनजोदडो मे कुछ बांट ०.९८,२.०७,३.०३,३.९२,२४.५०,ओर ४७.३० ग्राम भी पाए गए है जो आपस मे १,२,३,४,२४ ओर ४८ के अनुपात मे थे इनके संकेताक्षर P,Q,R,S,T,U है।
इसी तरह के बाट बैबिलोनिया,सूसा,हिला आदि जगह पाए गए है इससे ये भी साबित होता है कि प्राचीन भारत के अन्य सभ्यताओ से भी व्यापारिक सम्बन्ध थे।
मोहन जोदडो का मापदंड- मोहनजोदडो मे १९३१ मे शंख के एक टुकडे पर कुछ निशान लगे मिले। यह टुकडा ६.६२*०.६२ सेंटीमीटर माप का था।इसमे नौ समान्तर रेखाए खिची हुई थी। जिनके बीच की दूरी ०.२६४ इंच की दूरी थी।
एक रेखा पर एक वृत भी खिचा है।पांच रेखाओ के बाद एक बडा बिन्दु भी है।वृत ओर बिन्दु का अन्तर आजकल के माप के हिसाब से १.३२ इंच का है।यह अनुमान लगाया जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय इंच इतना बडा रहा होगा।
चित्र क्रमांक -३ मे देखे__
इन सब बातो से स्पष्ट है कि प्राचीन भारत मे मापन की उन्नत तकनीके भारत मे प्रचलित थी ।यही पद्धतियाँ धीरे धीरे अन्य देशो मे भी पहुँची।

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