किस श्राप के कारण जल कर स्वाह हुई रावण की लंका?"
श्री हनुमान रामायण रूपी माला के रत्न पुकारे गए हैं, क्योंकि श्री हनुमान की लीला और किए गए कार्य अतुलनीय और कल्याणकारी रहे। श्री हनुमान ने जहां राम और माता सीता की सेवा कर भक्ति के श्री हनुमान रामायण रूपी माला के रत्न पुकारे गए हैं, क्योंकि श्री हनुमान की लीला और किए गए कार्य अतुलनीय और कल्याणकारी रहे। श्री हनुमान ने जहां राम और माता सीता की सेवा कर भक्ति के आदर्श स्थापित किए, वहीं राक्षसों का मर्दन किया, लक्ष्मण के प्राणदाता बने, देवताओं के भी संकटमोचक बने और भक्तों के लिए कल्याणकारी बने। रामायण में हनुमान से जुड़े ऐसे ही अद्भुत संकटमोचन करने वाले प्रसंगों में लंकादहन भी प्रसिद्ध है।
सामान्यत: लंकादहन के संबंध में यही माना जाता है कि सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे और रावण के पुत्र सहित अनेक राक्षसों का अंत कर दिया। तब रावण के पुत्र मेघनाद ने श्री हनुमान को ब्रह्मास्त्र छोड़कर काबू किया और रावण ने श्री हनुमान की पूंछ में आग लगाने का दण्ड दिया। तब उसी जलती पूंछ से श्री हनुमान ने लंका में आग लगा रावण का दंभ चूर किया। किंतु पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक और रोचक बात जुड़ी है, जिसके कारण श्री हनुमान ने पूंछ से लंका में आग लगाई।
दरअसल, श्री हनुमान शिव अवतार है। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया। किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया। वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान दे दिया।
दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया। इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोलेभंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा। तब अचंभित और दु:खी माता पार्वती ने विष्णु को स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।
जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गई तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप हनुमान का अवतार लूंगा उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दण्डित करना। यह प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है
On April 1st, 2016, you posted an article on Sudevi, sakhi of Radharani. Do you have similar articles on other sakhis of Radharani. Do you have the mantras and the pranam mantras for these sakhis? Thank you.
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