Wednesday, 9 September 2015

शिक्षक

एक बार कबीरदास जी को लगने लगा की उनके पास साधक कम और सांसारिक इच्छा की पूर्ती करनेवाले लोग अधिक आने लगे हैं ।
अतः एक दिन वो सबके सामने एक वैश्या के घर चले गए |
वहां अधिकांश लोग कानाफूसी करने लगे और कहने लगे ” देखा, मैंने तो पहले ही कहा था की ये ढोंगी हैं चलो अच्छा हुआ कि उनकी कलई खुल गयी ” और सब प्रवचन स्थल से चले गए |
एक घंटे… पश्चात कबीर दास जी लौटे तो देखा की पूरा मैदान खाली था और मात्र पांच लोग वहां बैठे थे,
जैसे ही उन्होंने उन्हें देखा उनके चरण स्पर्श किये |
कबीरदासजी बोले ” अरे तुमने देखा नहीं मैं अभी कहाँ गया था” !!
वहां उपस्थित एक साधक ने कहा “महाराज, हम सब तो यह जानते हैं की उस वैश्या ने निश्चित ही कुछ पुण्य किये होंगे जो आपकी चरण धूलि उसके आँगन तक पहुँच गयी , उसके तो भाग्य जाग गए ” !!!
कबीरदास जी मुस्कुराये और बोले बैठो ” भिखमंगो की भीड़ लग गयी थी इसलिए उन्हें भगाने के लिए यह सब नाटक करना पड़ा और उन्होंने उन पांचो को ज्ञान दिया।

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