Sunday, 8 April 2018

"सीता कैसे बनी रावण की मृत्यु का कारण"


क्या सिर्फ सीता के अपहरण के कारण ही राम के हाथों रावण की मृत्यु हुई थी?  इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। यह उस समय की बात है, जब भगवान शिव से वरदान और शक्तिशाली खड्ग पाने के बाद रावण और भी अधिक अहंकार से भर गया था। वह पृथ्वी से भ्रमण करता हुआ हिमालय के घने जंगलों में जा पहुंचा। वहां उसने एक रूपवती कन्या को तपस्या में लीन देखा। कन्या के रूप-रंग के आगे रावण का राक्षसी रूप जाग उठा और उसने उस कन्या की तपस्या भंग करते हुए उसका परिचय जानना चाहा। काम-वासना से भरे रावण के अचंभित करने वाले प्रश्नों को सुनकर उस कन्या ने अपना परिचय देते हुए रावण से कहा कि 'हे राक्षसराज, मेरा नाम वेदवती है। मैं परम तेजस्वी महर्षि कुशध्वज की पुत्री हूं। मेरे वयस्क होने पर देवता, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, नाग सभी मुझसे विवाह करना चाहते थे, लेकिन मेरे पिता की इच्छा थी कि समस्त देवताओं के स्वामी श्रीविष्णु ही मेरे पति बनें।' मेरे पिता की उस इच्छा से क्रुद्ध होकर शंभू नामक दैत्य ने सोते समय मेरे पिता की हत्या कर दी और मेरी माता ने भी पिता के वियोग में उनकी जलती चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। इसी वजह से यहां मैं अपने पिता  की  इच्छा को पूरा करने के लिए इस तपस्या को कर रही हूं।
इतना कहने के बाद उस सुंदरी ने रावण को यह भी कह दिया कि मैं अपने तप के बल पर आपकी गलत इच्छा को जान गई हूं। इतना सुनते ही रावण क्रोध से भर गया और अपने दोनों हाथों से उस कन्या के बाल पकड़कर उसे अपनी ओर खींचने लगा। इससे क्रोधित होकर अपने अपमान की पीड़ा की वजह से वह कन्या दशानन को यह श्राप देते हुए अग्नि में समा गई कि मैं तुम्हारे वध के लिए फिर से किसी धर्मात्मा पुरुष की पुत्री के रूप में जन्म लूंगी

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