Sunday, 31 January 2016

वास्तविक सुख


श्री राधे--
एक non -medical के छात्र को अपनी पढाई का बहूत अहंकार था ,-- एक दिन उसने एक नदी किनारे नाव चलाने वाले लडके से पुछा की क्या तु ये जानता है की ईलैक्ट्रोन,प्रोटोन,ओर न्युट्रोन क्या होते है??
नाव चलाने वाला बोला की-- मै कुछ नही जानता- मैने पढाई नही की-- मै बस नाव चलाना जानता हूं--ओर प्रभु का नाम गाता रहता हूं--
ये सुनने के बाद वो छात्र उस नाव चलाने वाले लडके पर हंसने लगा --- उसके बाद उसने कहा की चलो हमे ईस नदी के दुसरे पडाव पर ले चलो --
जब उस नाव मे बैठकर वो नोन मैडिकल का छात्र जाने लगा तो अचानक नाव मे कुछ खराबी आ गयी --- वो नोन मैडिकल का छात्र घबरा गया ओर तुरंत वो नाव चलाने वाला बोला की क्या तुम तैरना जानते हो??
वो छात्र बोला की-- नही नही मैने तो जीवन मे कभी तैरना सीखा ही नही--
उसके बाद उस नाव चलाने वाले ने ही उस छात्र को डुबने से बचा लिया ओर उस छात्र का सारा अहंकार चला गया,,उसके मन मे भक्ति भाव जागृत हो गया--
ईस उदाहरण से सबको एक बहूत सुंदर शिक्षा मिलती है की संसार मे हमने क्या पाया ओर क्या नही पाया ये महत्वपुर्ण नही है बल्कि जीवन मे हमने कितना प्रभु के लिए समय दिया ये महत्वपुर्ण है--
मनुष्य अपने जीवन के मोल को ओर जीवन के वास्तविक लक्ष्य को भुल बैठा ईसलिए मनुष्य हमेशा अशांत रहता है--
मनुष्य हर काम को करने से पहले सोचता है लेकिन जीवन को कैसे जीना है ईस बारे मे मनुष्य नही सोचता---
मनुष्य ईन भोगो मे ईतना डुबा रहता है की अपने जीवन के कल्याण के बारे मे विचार नही कर पाता---
ये जीवन भगवद्प्राप्ति के लिए मिला है-
भगवान राम कहते है की-- *★***एहि तन कर फल बिषय न भाई।
स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥
नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।
पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥
हे भाईयों ! विषय भोग इस शरीर के प्राप्त होने का फल नहीं है (अर्थात इस जगत् के भोगों की तो बात ही क्या) स्वर्ग का भोग भी बहुत थोड़ा है और अंत में दुःख देने वाला है। अतः जो लोग यह मनुष्य शरीर पाकर विषयों में मन लगाते हैं, वे मूर्खों के सदृश अमृत को बदलकर विष ले लेते हैं-------
★**** संसार मे आकर अगर सब कुछ पा लिया ओर अगर भगवान को नही पाया तो सब कुछ पाकर भी एक दिन सब खोना पडेगा --
कबीर दास ने कहा है की--*कबीरा यह जग निर्धना,,धनवंता नहि कोई--
धनवंता तेहूं जानिये,,जाको रामनाम धन होई---
कबीर जी कहते है की संसार मे धनवान वो नही जिसके पास पैसा हो बल्कि असली धनवान तो वो है जिसके जीवन मे प्रभु का नाम हो--
वास्तविक सुख यानि आनंद तो सिर्फ प्रभु के भजन मे ओर उनकी कथाऐं श्रवण करने ओर उनके नाम का संकीर्तन् करने मे है--- श्री राधे

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