Sunday 31 January 2016

मासूम की समझ


सोनू ने चॉकलेट मांगी तो माँ फ्रीज़ से बड़ा चॉकलेट निकालकर ले आई और उसे तोड़कर एक छोटा सा हिस्साउसे दे दिया। सोनू उसे खाने के बाद उँगलियाँ चाट ही रहा था कि उसकी नज़र कामवाली के बेटे कालू परपड़ी। वह एकटक उसकी उँगलियों को देखे जा रहा था। सोनू की उँगलियों के साथ साथ कालू की ऑंखें भी हरकतें कर रही थी। सोनू ने माँ से उसे भी चॉकलेट का एक छोटा सा टुकड़ा देने को कहा तो माँ भड़क गई,"तुझे पता भी है कितने की चॉकलेट है ये.....पूरे डेढ़ सौ की।""पर माँ.....""
पर वर कुछ नहीं।
तुझे और चाहिए तो ये ले।"माँ उसे चॉकलेट देने लगी तो उसका एक टुकड़ा फर्श पर गिर गया। सोनू ने उसे झट से उठा लिया और खाने
के लिए हाथ मुंह के करीब लाया ही था कि माँ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, "ये क्या कर रहा है तू। नीचे गिरी चीज नहीं खाते।" माँ ने वह टुकड़ा उससे लेकर कालू को दे दिया। सोनू को अब जब भी कोई चीज कालू को देनी होती तो वह उसे फर्श पर गिरा देता। एक दिन पापा उसके लिए स्वेटर लेकर आये।
सोनू बहुत खुश था। वह जब स्वेटर पहन कर देख रहा था तो उसकी नज़र अचानक कालू पर पड़ी।
फटी कमीज से उसका बदन जैसे उसी की ओर ताक रहा था।
उसने हाथ में लिया स्वेटर नीचे गिरा दिया। पापा उसकी यह हरकत देख मुस्कुराने लगे और उसके पास आकर बोले, "मैं जानता था तुम कुछ ऐसा ही करोगे। इसीलिए मैं एक स्वेटर और लाया हूँ। लो, उसे दे दो।"

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