नारद जी ने देखा कि मंदिरों में लोगों कि भीड़ हमेशा लगी रहती है और हर कोई यह सोचता है कि उस से बड़ा भगवान का भक्त कोई भी नहीं. नारद जी बहुत ही उत्सुक हुए यह जानने के लिए कि सब से बड़ा भगवान का भक्त कौन है.
उन्होंने भगवान विष्णु का दरवाजा खटखटाया यह जानने के लिए कि उनकी नज़र में उनका सबसे बड़ा भक्त कौन है. भगवान् विष्णु ने कहा कि मेरा सबसे बड़ा भक्त वो अमुक किसान है.
प्रशन का उत्तर जानने के बाद नारद जी हैरान हुए कि एक किसान जो पूजा कि विधि भी नहीं जनता वो इतने बड़े-बड़े उपासकों के होते हुए भी भगवान का सब से बड़ा भक्त कैसे हुआ. यही प्रशन नारद जी ने भगवान से किया तो भगवान विष्णु ने कहा कि वह किसान प्रतिदिन अपना हल जोतने का कार्य शुरू करने से पहले पूरी निष्ठा से मेरा स्मरण करता है और फिर कठिन परिश्रम करता है और अपने कार्य कि समाप्ति पर फिर से मेरा स्मरण करता है.
कर्म ही पूजा है.
उन्होंने भगवान विष्णु का दरवाजा खटखटाया यह जानने के लिए कि उनकी नज़र में उनका सबसे बड़ा भक्त कौन है. भगवान् विष्णु ने कहा कि मेरा सबसे बड़ा भक्त वो अमुक किसान है.
प्रशन का उत्तर जानने के बाद नारद जी हैरान हुए कि एक किसान जो पूजा कि विधि भी नहीं जनता वो इतने बड़े-बड़े उपासकों के होते हुए भी भगवान का सब से बड़ा भक्त कैसे हुआ. यही प्रशन नारद जी ने भगवान से किया तो भगवान विष्णु ने कहा कि वह किसान प्रतिदिन अपना हल जोतने का कार्य शुरू करने से पहले पूरी निष्ठा से मेरा स्मरण करता है और फिर कठिन परिश्रम करता है और अपने कार्य कि समाप्ति पर फिर से मेरा स्मरण करता है.
कर्म ही पूजा है.
No comments:
Post a Comment