Sunday 13 September 2015

जिम्मेदारी

बहुत पुरानी बात है ..एक गांव में एक किसान था उसके तीन बेटे-बहुए थी.. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था , तब किसान के मन में तीर्थयात्रा पर जाने की बात आई मगर , किसान ने सोचा में अपनी सारी जिम्मेदारी किसे सौपु ...बहु घर की लक्ष्मी होती है ...अत: इनमे
से ही किसी एक को चुनना चाहिए ...लेकिन किसे ...?
उसने बहुत सोचा फिर उसने एक काम किया , वो बाजार गया और वहाँ से तीन बोरी गेहूं लाया ...उसने तीनो बहुओ को अपने पास
बुलाया और कहा.."ये एक-एक बोरी गेहूं , मै तुम तीनो को दे रहा हूँ...और मै अब कुछसमय के लिए बाहर जाना कहता हूँ.. तुम तीनो इसका जैसा चाहे उपयोग कर सकती हो...कह कर वो चला गया..
अब उनमे से एक बहु ने सोचा ये गेहूं अपने पास रख कर मै क्या करुँगी...? कह कर उसने धीरे धीरे वो सारे गेहूं पक्षियों को खिला दिए... , दूसरी बहु ने सोचा ससुर जी जब ये देकर गए है ..तो जरुर ये कोई विशेष गेहूं होंगे ..मै इसको संभाल कर रख देती हूँ.. ऐसा कह कर उसने वो गेहूं एक डब्बे में भर दिए... तीसरी बहु ने सोचा की इसका क्या किया जाए तब उसने अपने खेत के छोटे से टुकडे में उस गेहूं के बीज की बोवनी कर दी .... उसे समय-समय पर खाद-पानी दिया...
कुछ महीनो बाद किसान घर वापस लौटा तब उसने तीनो बहुओ को पास बुलाकर पूछा की उस गेहूं का क्या किया ...?'तब पहली वाली ने कहा कि मैंने तो सारे पक्षियों को खिला दिए','दूसरी वाली ने कहा मैंने सभाल कर रखे है पिताजी', लेकिन वो जब गेहूं का डिब्बा लेकर आई तो उसमे से सारे गेहूं खराब हो गए थे ,उसमे कीड़े हो गए थे ...अब तीसरी बारी आई तब उसने कहा'ससुर जी आपको वो गेहूं देखने के लिए मेरे साथ चलना होगा ...,वो सबको साथ लेकर उस खेत में गयी जहां उसके द्वारा बोया गया गेहूं आज भरपूर फसल बन कर लहलहा रहा था....सब दूर इतनी सुन्दर गेहूं कि फसल देख कर किसान बहुत खुश हुआ और उसने उसे खूब आशीर्वाद दिए...
मोरल :- जिंदगी में मौक़ा हम सभी को मिलता है , मुख्य बात है कि कैसे हम उस मौके का उपयोग करते है ..... यदि ठान लिया जाए , निश्चय दृढ़ हो और भावना अच्छी है तब थोड़ी सी समझदारी और परिश्रम से मिटटी से भी सोना बनाया जा सकता है.

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