Sunday 14 August 2016

सुख-संतोष की देवी है मां संतोषी


सुख-संतोष की देवी मां के पिता गणेश और माता रिद्धि-सिद्धि हैं. रिद्धि-सिद्धि धन, धान्य, सोना, चांदी, मूंगा, रत्नों से भरा परिवार होने के कारण इन्हें प्रसन्न्ता, सुख-शान्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने की देवी भी माना गया है. माता संतोषी का शुक्रवार को पूजन और व्रत किये जाने का विधान है।
पूजन विधि
सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफ़ाई इत्यादि पूर्ण कर लें।
स्नानादि के पश्चात घर में किसी सुन्दर व पवित्र जगह पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
माता संतोषी के संमुख एक कलश जल भर कर रखें। कलश के ऊपर एक कटोरा भर कर गुड़ व चना रखें।
माता के समक्ष एक घी का दीपक जलाएं।
माता को अक्षत, फूल, सुगन्धित गंध, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें।
इस व्रत को करने वाला कथा कहते व सुनते समय हाथ में गुड़ और भुने चने रखें।
कथा की समाप्ती के पश्चात्त श्रद्धापूर्वक सपरिवार आरती करें।
कथा व आरती के पश्चात्त हाथ का गुड़ व चना गौमाता को खिलाएं, तथा कलश पर रखा हुआ गुड़ चना सभी को प्रसाद के रुप में बांट दें।
कलश के जल का पूरे घर में छिड़काव करें।
इस प्रकार विधि पूर्वक श्रद्धा और प्रेम से प्रसन्न होकर शुक्रवार को पूजा अर्चना करें।
इस दिन न तो खट्टी वस्तु खाएं और न ही स्पर्श करें।

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