सूर्योदय क्या है?
सांझ हो रही थी। कहीं पर अंधेरा तो कहीं पर धीरे-घीरे मंद पड़ता प्रकाश दिखाई पड़ रहा था। इसी अंधेरे में एक बरगद का पेड़ भी खड़ा था। तभी पेड़ की कोटर से एक चमकादड़ निकलकर शाखा पर आ बैठा। कुछ देर में एक मैना भी वहीं आकर बैठी और उससे बोली- "भाई चमगादड़! तुमने सुबह का सूरज देखा था? आज कितना मनोरम सूर्योदय हुआ था।" चमगादड़ सदा अंधकार में रहा था, उसे प्रकाश का कोई भान ही नहीं था। इसलिए वह आश्चर्य से बोला- "सूर्योदय क्या होता है?"
मैना उसे समझाते हुए बोली-"जब रात का अंधेरा सूरज के प्रकाश से गायब हो जाता है तो उसे सूर्योदय कहते हैं।" मैना की परेशानी समझकर वहीं पास बैठा तोता, मैना से बोला- "बहन मैना! चमगादड़ ने अपना जीवन अंधकार में ही गुजारा है, इसलिए उसे प्रकाश का कोई भान नहीं है। ज्यादातर मनुष्य भी अपना जीवन ऐसे ही संकुचित दृष्टिकोण में गुजारते हैं और जो उन्हें नहीं दिखता उसे सिरे से नकार देते हैं।" जीवन और कुछ नहीं, भिन्न- भिन्न दृष्टिकोणों का समन्वय है।
सांझ हो रही थी। कहीं पर अंधेरा तो कहीं पर धीरे-घीरे मंद पड़ता प्रकाश दिखाई पड़ रहा था। इसी अंधेरे में एक बरगद का पेड़ भी खड़ा था। तभी पेड़ की कोटर से एक चमकादड़ निकलकर शाखा पर आ बैठा। कुछ देर में एक मैना भी वहीं आकर बैठी और उससे बोली- "भाई चमगादड़! तुमने सुबह का सूरज देखा था? आज कितना मनोरम सूर्योदय हुआ था।" चमगादड़ सदा अंधकार में रहा था, उसे प्रकाश का कोई भान ही नहीं था। इसलिए वह आश्चर्य से बोला- "सूर्योदय क्या होता है?"
मैना उसे समझाते हुए बोली-"जब रात का अंधेरा सूरज के प्रकाश से गायब हो जाता है तो उसे सूर्योदय कहते हैं।" मैना की परेशानी समझकर वहीं पास बैठा तोता, मैना से बोला- "बहन मैना! चमगादड़ ने अपना जीवन अंधकार में ही गुजारा है, इसलिए उसे प्रकाश का कोई भान नहीं है। ज्यादातर मनुष्य भी अपना जीवन ऐसे ही संकुचित दृष्टिकोण में गुजारते हैं और जो उन्हें नहीं दिखता उसे सिरे से नकार देते हैं।" जीवन और कुछ नहीं, भिन्न- भिन्न दृष्टिकोणों का समन्वय है।
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