एक समय राजाधिराज युधिष्ठिर अपने भाइयों सहित श्रीकृष्ण के साथ मयदानव द्वारा बनाई सभा में स्वर्ण सिंहासन पर देवराज इन्द्र के समान विराजमान थे। मयदानव निर्मित भवन में दुर्योधन को जल-स्थल का भान नहीं हुआ और दुर्योधन गिर पड़े। इस पर भीम ने हास्य-व्यंग्य किया जिससे की दुर्योधन ने अपमानित महसूस किया। इस प्रसंग पर लोग कहते हैं कि दुर्योधन को गिरते हुए देखकर द्रौपदी ने कहा कि "अंधे के पुत्र अंधे होते है।" ऐसा कहना ठीक नहीं। शास्त्रीय आधार पर भी ऐसा कहीं कोई प्रमाण नहीं मिलता कि द्रौपदी ने ऐसा अपशब्द बोला हो। वहां उस प्रसंग में द्रौपदी थी ही नहीं, तो बोली कैसे ? दूसरी बात द्रौपदी जैसी दया की देवी, ऐसा अपशब्द कैसे बोलती? जो भागवत में कहती है कि मुझे जो दु:ख मिला वैसा दु:ख किसी को भी ना मिले। द्रौपदी के चरित्र के साथ हमें न्याय करना चाहिए। उस प्रसंग में तो भीम थे। भीम हंसे, किंतु ऐसे अपशब्दो का प्रयोग नहीं किया। महाभारत में स्पष्ट है कि
भूमौ निपतितं दृष्द्वा भीमसेनो महाबल:।
जहास जहसुश्चैव किंकराश्च सुयोधनम।।
फलत: महाभारत जैसा धर्म युद्ध हुआ। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने पग-पग पर पाण्डवों की रक्षा की और कौरवों का संहार हुआ।
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