कुब्जा कृष्ण की आधी अधूरी पत्नी थी। असल में कुब्जा तीन जगह से टेडी थी (त्रिवक्रा) और कंस कुब्जा को बिलकुल पसंद नहीं करता था। लेकिन कुब्जा पूरे मथुरा में सबसे अच्छा चन्दन का लेप और इत्र बनाती थी इसलिए वो कंस के यहाँ चन्दन का लेप बनाने का काम करती थी।
जब कृष्ण मथुरा गए तब उन्हें कुब्जा मिली जो रेंगते हुए राजभवन जा रही थी। लेकिन जब उसने श्री कृष्ण को देखा तो कंस का लेप उसने कृष्ण के चरणों पर लगा दिया और इस प्रकार उसने कृष्ण को सम्पूर्ण समर्पण किया। कृष्ण ने उसकी ठोड़ी को हाथ से पकड़ा और पैर को पैर से दबाकर खींचा जिससे वो सीधी हो गयी और सुंदर हो गयी। उसने कृष्ण से अपने घर चलने को कहा तब कृष्ण ने उसे अपना उद्देश्य पूरा करके उसके घर आने का वचन दिया।
जब कृष्ण ने कंस को मार दिया तब वो उद्धव और अन्य गोपों के साथ कुब्जा के घर गए और वहाँ सांसारिक विवाह और विवाह का परायण किया जिसके बाद कुब्जा #गोलोक के पार्षदों के साथ गोलोक चली गयी।
#कुब्जा केवल आधी पत्नी इसलिए रही की #कृष्ण का उससे विवाह वैदिक रीति रिवाज से नहीं हुआ था क्योंकि तब कृष्ण के उपनयन आदि संस्कार नहीं हुए थे
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