हिंदुकुश पर्वत के पास एक ऐसा झरना है जहां अमरता का रहस्य छिपा हुआ है। किंवदंतियों के रूप में सिकंदर और योगी की कहानी से यह रहस्य खुलता है। लेकिन, वह कौन सा स्थान है, इसे कोई नहीं जानता है।
हिंदूकुश वही स्थान है जहां देवराज इंद्र की पसंदीदा सोमलता मिलती है। वर्तमान में यह पर्वत अफगानिस्तान में है।इस बारे में सिर्फ इतनी जानकारी है कि पर्वत के पास जंगल में स्थित एक गुफा के अंदर तालाब में अमरता का रहस्य है।
इससे जुड़ी सिकंदर की कथा बताते है। इस संसार में हर कोई अमर होना चाहता है। लोग इस अमरता के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन, इस अमरता के करीब पहुंच कर भी शरीर की नश्वरता को स्वीकार करना ही होता है।
कुछ ऐसा ही हुआ दुनिया जीतने का सपना लेकर निकले अलेेक्जेंडर द ग्रेट या सिकंदर के साथ। सिकंदर हिंदुकुश पर्वत पर एक योगी से मिला। उसने उससे पूछा कि क्या तुम मुझे अमर होने की कला सिखा सकते हो।
मैंने सुना है कि भारत के योगी हजारों सालों तक जीवित रहते हैं। वे अमरत्व पा चुके हैं। उसके बदले मैं तुम्हें जो मांगो, दे सकता हूं। योगी ने उससे कहा कि तुम मुझे दे क्या सकते हो! सिकंदर ने जीते गए राज्यों से लूटी गई सारी संपत्ति रख दी।
योगी ने कहा कि यह तो बेकार की चीज है। इससे तुम्हारी भूख-प्यास कुछ भी नहीं मिट सकती है। लेकिन, सिकंदर ने योगी से कहा कि उसे हर हाल में अमर होना है।
यदि योगी ने उसकी बात नहीं मानी तो वह योगी को मौत के घाट उतार देगा। योगी ने कहा कि भारतीय संतों को मौत का डर नहीं रहता। अब सिकंदर अनुनय-विनय पर उतर आया। तब योगी ने कहा कि यदि तुम अमरता पाने के लिए इतने ही व्याकुल हो तो सुनो।
सामने जंगल में उन्होंने सिकंदर को एक स्थान का रास्ता बताया। कहा कि वहां एक गुफा में तुम्हें एक छोटा सा जलकुंड मिलेगा। उस जलकुंड से पानी पी लेना। तुम अमर हो जाओगे। सिकंदर ने काफी दिनों तक भटकने के बाद आखिर उस गुफा को खोज कर निकाल लिया। वह अकेला ही गुफा में घुसा।
जलकुंड से पानी लेकर वह पीने ही वाला था तभी एक कौवे ने उसे रोक दिया। उसने कहा, सिकंदर, तुम महान नहीं मूर्ख हो। कौवे ने कहा कि उसने भी अमर होने की चाह में इस कुंड का पानी पी लिया था। उसके बाद वह चाह कर भी मर नहीं पा रहा है। अब वह इस जीवन से ऊब चुका है।
लेकिन, अमरता का जल पीने के बाद उसे मौत भी नहीं आ रही है। उसने सिकंदर से कहा कि वह इस जल को पीने से पहले एक बार सोच जरूर ले। सिकंदर ने काफी सोच विचार किया और अचानक ही उस जल कुंड से दूर भाग गया। उसने समझ लिया था कि एक समय के बाद यह अमरता भी उसके लिए बोझ बनने वाली है।
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