Wednesday, 15 June 2016

#‎वेदवती‬


देवी वेदवती का निर्मल चरित्र गोपनीय है। वेदवती महर्षि कुसाध्वज की बेटी थीं और वेदविद्या का साक्षात् स्वरुप थीं। उन्होंने भगवान् विष्णु से विवाह करने के लिए घोर तपस्या की थी।इसीलिए उन्होंने कई देवताओं, पराक्रमी राजाओं और असुरों के विवाह प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था। वो संसार की सबसे सुंदर स्त्री थीं। उन्हें देखकर रावण को उन्हें प्राप्त की इच्छा हुई लेकिन देवी ने रावण को बिलकुल ठुकरा दिया। आखिर रावण क्रोधित होकर वेदवती के केश पकड़कर खींचने लगा।
पवित्रता की देवी वेदवती ने अपने केशों को अपवित्र जानकार अपनी केशराशि को काट दिया और वहीँ रावण के सामने अग्नि में भस्म हो गयीं और रावण को श्राप दिया की उसकी मृत्यु का कारण वही बनेगी। उसके बाद से ही वेदवती का निवासस्थान अग्नि बन गया।
जब राम सीता के साथ वन में गए थे तब लीला करने के लिए राम ने सीता को अग्नि को सौंप दिया और वेदवती अग्नि से सीता की प्रतिछाया बनकर प्रकट हो गयी। रावण वेदवती को चुरा ले गया और फिर उसी के कारण राम ने रावण का वध किया।
वेदवती लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं और पवित्रता की देवी हैं। क्योंकि वेदवती ने अग्नि में निवास किया इसलिए अग्नि भी पवित्र करने वाला हो गया।

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