अरी कुलटा तुझे कितनी बार समझाने की कोशिश कर चुकी हूँ। दूसरा बच्चा लड़का नहीं जनेगी तो हमारा वंश कैसे चलेगा, सास द्वारा बारम्बार कहे जाने वाले इस प्रकार के जले कटे शब्द पल्लवी को झमजोर रहे थे परन्तु वह अपने निर्णय पर अडिग थी आखिर उसने अपनी सासू माँ को एक दिन कह ही डाला - अम्मा जी यदि दूसरी भी लड़की पैदा हो गई तो फिर कैसे चलाओगी 'वंश'?
सासू माँ ने बड़े शान्त स्वर में उसे फुसलाते हुए कहा - बहू रानी इस बार प्रारम्भ में ही मैं टोपी वाले वैद्य जी से दवा खिलवा के लाऊँगी जिससे लड़का ही होगा और फिर नर्सिंग होम में पहले ही बच्चे का लिंग पता करवा लेंगे। पल्लवी अधीर होकर बोल ही पड़ी अम्मा जी यदि आप दूसरी लड़की होने पर बुरा ना मानो तो मैं एक बार और प्रसव जन दूँगी लेकिन कन्या भ्रूण हत्या होने नहीं दूँगी।
पल्लवी पढ़ी लिखी समझदार लड़की थी। उसने सासू माँ को प्यार से बोलते देख कर उन्हें समझाना प्रारम्भ कर दिया कि अम्मा जी वैसे तो एक पुत्री जो हमारे पास है। उसी को अच्छा पढ़ा लिखा कर योग्य बनाकर हमें उसके पति के रूप में एक पुत्र ही तो मिलेगा।
फिर भी सासू जी की समझ में नहीं आ रहा था तो पल्लवी ने बड़े प्यार से सासू माँ को कहा - अम्मा जी यदि एक सिक्का ऊपर उछाले तो नीचे गिरने पर मूरत (Head) आयेगी या अंक वाली साइड (Tail) आयेगी क्या बता सकती है या कोई डॉक्टर/हकीम की दवा इसकी मूरत को हर बार उछालने पर सामने कर सकेगी।
सासू माँ ने जानना चाहा कि बहू रानी ऐसा क्यों कह रही है। पल्लवी ने स्पष्ट किया कि मनुष्य एवं स्त्रियों का शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से बना होता है।
हमारे शरीर में लगभग हमारे शरीर के भार में 1023 से गुणा करने पर प्राप्त संख्या के बराबर कोशिकाएँ होती है यही कोशिकाएँ जनन अंगों का भी निर्माण करती है। नर में वृषण (Testis) की कोशिकाएँ शुक्राणु (Spermatozoa) बनाती है और स्त्री में अण्डाशय (Ovaries) की कोशिकाएं अण्डाणु (Ovum) का निर्माण करती है।
अण्डाणु (Ovum) शुक्राणु (Spermatozoa) द्वारा निषेचित किया जाता है और जाइगोट बनता है। उसी के विकास से भ्रूण बनता है तथा नवजात बच्चे का विकास होता है।
मानव कोशिकाओं के केन्द्रक में 23 जोड़े (46) क्रोमोसोम पाये जाते है। इन्हीें पर पाई जाने वाली जीन्स अगली पीढ़ी में नर एवं मादा के लक्षण लेकर जाती है।
नर कोशिकाओं और मादा कोशिकाओं में 22 जोड़े क्रोमोसोम एक जैसे होते है। इन्हें आटोसोम (Autosome) कहते है। जबकि एक जोड़ा थोडा भिन्न होता है। यह सेक्स क्रोमोसोम (Sex Chromosome) कहलाता है। इसी के कारण बच्चे के लिंग का निर्धारण होता है।
सासू ने बहू की बात सुनकर कह दिया क्या उलटा सीधा मुझे समझा रही है। रमेश की पत्नी को उसकी सास ने टोपी वाले वैद्य जी से दवा दिलवाई थी उसके लड़का ही पैदा हुआ। मैं नहीं मानती तेरा यह विज्ञान। मुझे तो बस इतना पता है कि संतान तो ईश्वर की देन है। भगवान के मंदिर में भोग लगा कर सच्चे मन से कामना करने पर पुत्र रत्न की प्राप्ति संभव है।
लेकिन पल्लवी को आज अच्छा मौका मिला था वह कहाँ रूकने वाली थी। उसने कहा अम्माजी अब बात चली है तो पूरी बात सुन तो लो चाहे मत मानना। अच्छा बता कह कर अम्माजी सुनने लगी।
पल्लवी बताने लगी कि नर जनन अंगों में 22 जोड़े आटोसोम और एक जोड़ा सेक्स क्रोमोसोम होता है (जिसमें (x) एवं (y) प्रकार के क्रोमोसोम होते है) जब नर जनन अंगों में Spermatozoa (शुक्राणु) का निर्माण होता है तो उसके केन्द्रक में आधे क्रोमोसोम ही जाते है।
इस प्रकार शुक्राणु दो प्रकार के होते है (x) एवं (y) प्रकार के जबकि मादा में अण्डाणु (Ovum) भी इसी प्रकार बनते है। लेकिन एक ही प्रकार के होते है - (x) प्रकार के। क्योंकि स्त्रियों में कोशिकाओं के केन्द्रक में 22 जोड़े आटोसोम के साथ एक जोड़ा सेक्स क्रोमोसोम x x प्रकार का ही होता है।
अर्थात Spermatozoa (शुक्राणु) Sex chromosome (सेक्स क्रोमोसोम) के बंटवारे के बाद दो प्रकार के होते है। 50% x प्रकार के और 50% y प्रकार के। यही शुक्राणु मादा के अण्डाणुओं से मिलकर सन्तानोत्पति का कार्य करते है।
अर्थात स्त्री में तो एक ही प्रकार के अण्डाणु होते है। 100% x प्रकार के। अब यह नर के शुक्राणुओं पर निर्भर करता है। यदि 22+x प्रकार के अण्डाणु (Ovum) को 22+y प्रकार का शुक्राणु निषेचित (Fertilize) रहता है।
तो दोनों के योग से 44+xy प्रकार की जाइगोट कोशिका बनती है। इससे ही भ्रूण एवं शिशु का निर्माण होता है जो लड़के के लिंग को निर्धारित करता है।
इसी प्रकार यदि 22+x प्रकार के अण्डाणु (Ovum) को 22+x प्रकार का शुक्राणु निषेचित करे तो 44+xx प्रकार की जाइगोट बनती है और इससे लड़की के लिंग का निर्धारण होता है।
अम्मा जी स्त्रियों में तो एक ही प्रकार के अण्डाणु होते है। उन्हें तो पुरूष के x या x प्रकार के शुक्राणु निषेचित करते है अब आप मुझे क्यों दोष देती रहती है।
वास्तव में स्त्री एक भूमि के समान है। मृदा/भूमि में जैसा बीज डाले वैसा ही पौधा प्राप्त होती है।
जरा आप सोचिये?
भारत की 2010 की जनगणना में 1000 पुरूषों की तुलना में 802 स्त्रियाँ है। फिर भी भारत में आज भी कन्या भ्रूण हत्या हो रही है। यदि यह चलती रही तो सोचिये एक दिन स्त्रियों की घटती संख्या एक ऐसा स्त्री विहीन समाज बनाएगी।
स्त्री - परिवार की आत्मा है, वो जगत जननी है, वो प्रेम की शक्ति है, वो शीतल छाया है, माँ का प्यार, बहन का दुलार, पत्नी का प्रेम, सभी कुछ भरा है इस मातृ शक्ति में ! आइये इसे पहचाने और इसका सम्मान करें। जब एक है परमात्मा और आत्मा उसकी अंश है तो स्त्री और पुरूष में भेद हम क्यों करते है।
कृपया जाने कि :-
हमारे देश में लगभग हर एक मिनट में एक बच्ची को गर्भ से गिरा दिया जाता है। भारत में पिछले 20 सालों में एक करोड़ से भी अधिक बच्चियों को गर्भ से गिरा दिया गया है।
लड़के लडकियाँ
सन् 2001 में 100 की तुलना में 90 थी
सन् 2010 में 100 की तुलना में 81 है
सन् 2020 में 100 की तुलना में 77 रह जायेंगी
जरा सोचिये - कैसा होगा बचपन माँ के बगैर, घर औरत के बगैर, संसार औरत के बगैर ?
पल्लवी की सास बोली अरी तुझे तो बहुत सारी जानकारी है तूने तो मेरी आँखें ही खोल दी।
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