Tuesday 12 July 2016

सफलता से प्रभावित न हो जीवनशैली

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      सफलता ऐसी होनी चाहिए जो जीवनशैली को नहीं, जीवन को प्रभावित करे। जब हम सफल होते हैं, तो सबसे ज्यादा प्रभावित होती है हमारी जीवनशैली। कार, बंगला, अच्छे कपड़े, अच्छे स्थानों पर घूमने जाना, महंगे शौक, ये सब जीवनशैली में आते हैं।

       ज्यादातर लोग सफलता को जीवनशैली से जोड़ते हैं और इसीलिए अशांत भी हो जाते हैं। सफलता जीवन को प्रभावित करने वाली होनी चाहिए, क्योंकि जीवन भीतर होता है।

       जीवन गहराई है, समग्र है और जीवनशैली एक छोटी-सी घटना। जब जीवन में उतरते हैं तो आप अहंकार शून्य होते हैं। अपने अलावा दूसरों को भी महत्व देते हैं।

       जीवनशैली का आग्रह खुद के लिए होता है। उसे प्रदर्शन अच्छा लगता है। इसी तरह जब असफल हो जाएं तो ध्यान रहे कि असफलता केवल जीवनशैली को प्रभावित करे, जीवन को प्रभावित न करे। विफलता में तनाव होगा, अवसाद होगा। इसे भीतर न ले जाएं।

       जब विफल हों तो लाइफ स्टाइल बदल दें, लेकिन जीवन को उससे न जोड़ें। हम उल्टा करते हैं। सफलता को जीवन से काटते हैं व विफलता को जीवन से जोड़ते हैं। यहीं से अशांति आती है।

       सफल होने के लिए विश्वास चाहिए, लेकिन विफल हो जाएं तो विश्वास को श्रद्धा से जोड़ें। जल्दी ही असफलता से बाहर आ जाएंगे। जब हम विश्वास में जीते हैं तो कई लोगों के साथ रहते हैं। किसी और ने विश्वास किया, उसी सिद्धांत पर हमने भी विश्वास कर लिया। श्रद्धा अकेली होती है।

        यदि आपके भीतर किसी के प्रति श्रद्धा जागी तो आप यह चिंता नहीं करेंगे कि और कितने लोग उसके प्रति श्रद्धावान हैं। वह आपका निजी मामला है। विश्वास व श्रद्धा मिल जाएं तो भरोसा पैदा होता है। जब आपका भरोसा दृढ़ है, तब आप सफल होकर अशांत नहीं होंगे। विफल हैं तो भी शांत रहेंगे।

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