Wednesday 21 September 2016

व्यक्ति की सफलता का आधार बिंदु है व्यवहार


एक राज्य के राजकुमार का स्वभाव बहुत उत्पाती था। राजा ने राजकुमार को सुधारने का बहुत प्रयत्न किया, परंतु हर बार असफल रहे। तभी उस राज्य में एक संत का आगमन हुआ। राजा संत से आशीर्वाद लेने गए। राजा को परेशान देखकर संत ने कारण पुछा।राजा ने अपने पुत्र के संबंध में शारी बातें बताई। संत ने कहा- कल सुबह राजकुमार को मेरे पास भेजना।
दूसरे दिन राजा ने राजकुमार को संत के पास भेजा।राजकुमार संत के पास आया और प्रणाम किया। संत राजकुमार को घुमाने ले गए। रास्ते में एक नीम का पौधा देखा। संत ने पौधे की ओर इशारा करते हुए राजकुमार से कहा- राजकुमार, जरा इन पत्तियों का स्वाद चखना। राजकुमार ने पत्तियां तोड़कर मुंह में रखी। उसका मुंह कड़वाहट से भर गया। मुंह कड़वा होने से राजकुमार गुस्से में आ गया और उसने तुरंत ही उस पौधे को उखाड़ दिया। संत ने राजकुमार से पूछा-तुमने पौधे को क्यों नष्ट कर दिया। राजकुमार ने कहा- इसकी पत्तियां मुंह में रखते ही मुंह कड़वा हो गया।इसलिए मैंने इसे नष्ट कर दिया। यह सुनकर संत मुस्कराए। संत को मुस्कराते हुए देख राजकुमार ने उसका कारण पूछा तो संत ने कहा-राजकुमार, सोचो यदि तुम्हारे कड़वा आचरण को देख कोई तुम्हारे प्रति भी ऐसा ही व्यवहार करे तो तुम भी नष्ट हो जाओगे। अगर फलना-फूलना चाहते हो, तो अपने स्वभाव को मीठा, सरल और सदभावपूर्ण बनाओ। जैसा तुम दूसरों के प्रति व्यवहार करोगे, दूसरे भी तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे। राजकुमार को संत की बात समझ में आ गई और उसी पल से उसका व्यवहार शालीन हो गया।
सार- जो जिस तरह का व्यवहार करता है दूसरे भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा है- दूसरों के साथ इस तरह का व्यवहार न करो, जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं। व्यवहार व्यक्ति की सफलता का आधार बिंदु है।

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