Wednesday, 21 September 2016

अनंत चतुर्दशी व्रत से मिलती है अक्षय संपत्ति


भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है। अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और ऐसी मान्‍यता भी है कि इस दिन व्रत करने वाला व्रती यदि विष्‍णु सहस्‍त्रनाम स्‍तोत्र का पाठ भी करे, तो उसकी वांछित मनोकामना की पूर्ति जरूर होती है और भगवान श्री हरि विष्‍णु उस प्रार्थना करने वाले व्रती पर प्रसन्‍न हाेकर उसे सुख, संपदा, धन-धान्य, यश-वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं।
पूजन विधि
शास्त्रों में बताया गया है कि अनंत चतुर्दशी के पूजन में व्रत रखने वाले को सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद पूजा घर में कलश स्थापित करके कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें। इसके बाद कच्चा धागा लें जिस पर चौदह गांठे बांधे। जब यह तैयारी हो जाए तब भगवान विष्णु के साथ अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधि से पूजन करें।
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
महाभारत में कथा है कि जुए में सब कुछ हार जाने के बाद पांडवों को अपना राज पाट गवांकर वन-वन भटकना पड़ा। ऐसे समय में भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि आप सभी भाई मिलकर भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि का व्रत करें। इस व्रत से अनंत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसी व्रत से आपको पुनः राजलक्ष्मी की प्राप्ति होगी और आपको आपका खोया हुआ राज पाट मिलेगा। श्रीकृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए तथा चिरकाल तक राज्य करते रहे।

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