Wednesday 21 September 2016

सद्परिणाम और सम्मान देती है कर्मशीलता


एक छोटा सा गांव था। वहां एक निर्धन किसान रहता था। उसके पास एक छोटा खेत था। एक बार वहां के ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की कि यहां सात साल तक पानी नहीं बरसेगा। किसान ने यह भविष्यवाणी सुन अपने हल उठाकर खेत में रख दिए। इस प्रकार बैठे बैठे एक हफ्ता हो गया। वह किसान परेशान हो गया। उसने सोचा कि अगर मै सात साल कर खेत में जुताई नहीं करूंगा तो हल चलाना ही भूल जाऊंगा। इसलिए मुझे अपना काम नहीं छोड़ना चाहिए। उसने फिर से अपने हल उठा लिए और खेत जोतने लगा। गांव वाले उसका उपहास करते रहे, मगर उसने उनकी परवाह नहीं की और अपने काम में जुटा रहा।
एक दिन वह खेत में हल चला रहा था तभी आकाश में एक बदली निकली। चूंकि ऐसी कई बदलियां बिना बरसे ही निकल चुकी थी, इसलिए किसान ने अब आसमान में देखना ही बंद कर दिया था। बदली को बड़ा आश्चर्य हुआ कि पानी न बरसने की भविष्यवाणी के बाद भी यह किसान खेत क्यों जोत रहा है। उसने किसान से पूछा तूने सुना नहीं की तेरे गांव में सात साल तक बारिश नहीं होगी। फिर यह अनावश्यक परिश्रम क्यों कर रहा है। तब किसान ने जवाब दिया- मै बैठे बैठे उकता गया था। सोचा कि अपना काम ही करूं। किसान की बात सुनकर बदली की आंखे खुल गई। उसे लगा किसान सच कह रहा है अपना काम कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मै भी यदि सात साल तक ना बरसी तो कहीं बरसना ही न भूल जाऊ। यह सोचकर वह शीघ्र ही बरसने लगी और किसान का काम सिद्ध हो गया। हर इंसान को अपने निर्धारित कर्म करते रहने चाहिए। कर्म करेंगे तभी उसका सद्परिणाम पाएंगे।

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