Tuesday, 26 July 2016

सर्वश्रेष्ठ कौन

?(उपनिषद कथा )
एक बार प्राण और इन्द्रियों में झगड़ा हुआ।कि सबसे श्रेष्ठ कौन है इसलिए समस्त इन्द्रिय और प्राण प्रजापति के पास गये।
और इन्द्रियों में वाणी ,नेत्र ,श्रोत ,इत्यादि ने यह दावा किया की हम सबसे श्रेष्ठ है।प्राण ने भी ऐसा ही कहा ,तो झगड़े का निपटारा करने के लिए प्रजापति ने उत्तर दिया ....
"यस्मिन व उत्कान्ते शरीर पापिष्ठतरमिव दृश्यते स व: श्रेष्ट इति|| छान्दोग्य ५/१/७ ||
अर्थात् तुमे से जिसके निकल जाने पर शरीर बहुत बुरा से दिखे वो सबसे श्रेष्ठ है।
इस फैसले को सुनते ही शरीर से वाणी निकल गयी ,शरीर गूंगे की तरह जीवित रहा ।नेत्र चले गये शरीर अंधे की तरह जीवित रहा ,श्रोत चले गये शरीर बहरे की भांति स्थिर रहा ,,
मन चला गया शरीर मूढ़ ,शिशुवत स्थिर रहा ,परन्तु जब प्राण जाने लगे तो सारा शरीर मृतवत होने लगा।
तब सारी इन्द्रियों ने एक स्वर में प्राण से कहा :-
" भगवन्नेधि ,त्व न: श्रेष्ठोसि , मोत्कमीरिति||
छान्दोग्य५/१/१२ ||
भगवान ! तुम ही हमारे स्वामी ,तुम ही हमसे श्रेष्ठ हो ,बाहर मत निकलो।"
अत: स्पष्ट है कि प्राण के ही आश्रय पर सारी इन्द्रिय ,मन है। उसी के अधीन है ,,,यदि हमे अपनी इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करना है तो प्राण का अनुष्ठान प्राणायाम करना चाहिए।

No comments:

Post a Comment