बाइबिल का ईश्वर कहाँ रहता है?
- "सबका एक ईश्वर और एक पिता है, जो सबसे ऊपर है, सबसे होते हुए वो तुम सबमें है।"-(Ephesians 4:6)
- "उन सबने अपने हृदय में ईश्वर को देखा।"-(Psalm 78.18)
कृष्ण कहते हैं-
"हे अर्जुन मैं ही सब हृदय में स्थित परमात्मा हूँ।"-गीता, 10,20
"मैं सबके हृदय में परमात्मा हूँ।"गीता,7,21
"परमात्मा सबके हृदय में स्थित है।"गीता, 18, 61
ईसा को ज्ञान किसने दिया था?
"जो शब्द मैं तुमसे कह रहा हूँ वो मेरे नहीं हैं बल्कि उस पिता के हैं जो मुझमें है और अपना कार्य कर रहा है।"-(John 14.10)
कृष्ण कहते हैं-
मैं सबके हृदय में स्थित हूँ और मुझसे ही स्मृति, ज्ञान और विस्मृति होती है। सब वेदों में द्वारा मैं ही जानने योग्य हूँ। निश्चित ही मैं वेदांत का कर्ता और ज्ञाता हूँ। -गीता 15,15
(इस तरह ईसा मसीह ने स्पष्ट किया है की उन्हें ज्ञान उनके हृदय में परमात्मा रूप से स्थित कृष्ण ने दिया था।)
ईसा अपने कर्मों को कृष्ण को समर्पित करते हैं-
"आप मुझे अच्छा क्युं कह रहे हो? ईश्वर(कृष्ण) के सिवा कोई अच्छा नहीं है।"-(Mark, 10,8)
"मेरी शिक्षाएं मेरी नहीं हैं, ये उसकी हैं जिसने(कृष्ण ने) मुझे भेजा है।"-(John, 7,16)
"मैं अपने पिता का आचरण कर रहा हूँ, क्योंकि मेरे पिता(कृष्ण) मुझसे श्रेष्ठ हैं।"-(John 14, 28)
इस तरह से ईसा अपने पिता कृष्ण को अपने कर्म समर्पित करते हैं जो सबकेे हृदय में हैं।
क्या ईसा और कृष्ण एक ही हैं?
"मैं और पिता(ईश्वर) एक ही हैं।"(Jonh 10, 30)
ईसाई हमेशा ईसा को ईश्वर घोषित करते हैं। इसके लिए वो यही प्रमाण देते हैं।लेकिन इसे समझने के लिए हमें गीता देखनी होगी-
"इस संसार में ये आत्मा मेरा ही सनातन अंश है।" गीता, 15,7
इस तरह आत्मा को कृष्ण का एक अंश बताया गया है जिसमें कृष्ण की शक्तियों का थोडा सा विस्तार है जबकि खुद कृष्ण शक्तियों का भण्डार हैं।
ईसा के पिता कौन हैं?
"हे कुंतीपुत्र! यूँ समझो की ये सभी प्राणी प्रकृति से उत्पन्न होते हैं और मैं उनका बीजप्रदत्त पिता हूँ।"गीता, 14,4
ईश्वरीय लोक के बारे में बाइबिल कहती हैं-
"वहां पर रात नहीं होती, न मोमबत्ती की जरूरत होती है, न सूर्य की, क्योंकि वहां ईश्वर सबकुछ प्रकाशित करता है और वो(मुक्तात्मा) वहां हमेशा हमेशा के लिए निवास करते हैं।"-(Revelation 22:5)
भागवत गीता कहती है-
"वो मेरा परमधाम न तो सूर्य या चंद्र के द्वारा प्रकाशित है और न अग्नि या बिजली के द्वारा। जो वहां जाते हैं वो लौट कर यहाँ नहीं आते।"-गीता, 15,6
बाइबिल का ईश्वर आदि और अंत है?
"मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ, आदि और अंत हूँ, प्रथम और अंतिम हूँ।"(Revelation 22:13)
कृष्ण कहते हैं-
"मैं इस सारे संसार का आदि अंत तथा मध्य हूँ।"- गीता, 10,32
- "सबका एक ईश्वर और एक पिता है, जो सबसे ऊपर है, सबसे होते हुए वो तुम सबमें है।"-(Ephesians 4:6)
- "उन सबने अपने हृदय में ईश्वर को देखा।"-(Psalm 78.18)
कृष्ण कहते हैं-
"हे अर्जुन मैं ही सब हृदय में स्थित परमात्मा हूँ।"-गीता, 10,20
"मैं सबके हृदय में परमात्मा हूँ।"गीता,7,21
"परमात्मा सबके हृदय में स्थित है।"गीता, 18, 61
ईसा को ज्ञान किसने दिया था?
"जो शब्द मैं तुमसे कह रहा हूँ वो मेरे नहीं हैं बल्कि उस पिता के हैं जो मुझमें है और अपना कार्य कर रहा है।"-(John 14.10)
कृष्ण कहते हैं-
मैं सबके हृदय में स्थित हूँ और मुझसे ही स्मृति, ज्ञान और विस्मृति होती है। सब वेदों में द्वारा मैं ही जानने योग्य हूँ। निश्चित ही मैं वेदांत का कर्ता और ज्ञाता हूँ। -गीता 15,15
(इस तरह ईसा मसीह ने स्पष्ट किया है की उन्हें ज्ञान उनके हृदय में परमात्मा रूप से स्थित कृष्ण ने दिया था।)
ईसा अपने कर्मों को कृष्ण को समर्पित करते हैं-
"आप मुझे अच्छा क्युं कह रहे हो? ईश्वर(कृष्ण) के सिवा कोई अच्छा नहीं है।"-(Mark, 10,8)
"मेरी शिक्षाएं मेरी नहीं हैं, ये उसकी हैं जिसने(कृष्ण ने) मुझे भेजा है।"-(John, 7,16)
"मैं अपने पिता का आचरण कर रहा हूँ, क्योंकि मेरे पिता(कृष्ण) मुझसे श्रेष्ठ हैं।"-(John 14, 28)
इस तरह से ईसा अपने पिता कृष्ण को अपने कर्म समर्पित करते हैं जो सबकेे हृदय में हैं।
क्या ईसा और कृष्ण एक ही हैं?
"मैं और पिता(ईश्वर) एक ही हैं।"(Jonh 10, 30)
ईसाई हमेशा ईसा को ईश्वर घोषित करते हैं। इसके लिए वो यही प्रमाण देते हैं।लेकिन इसे समझने के लिए हमें गीता देखनी होगी-
"इस संसार में ये आत्मा मेरा ही सनातन अंश है।" गीता, 15,7
इस तरह आत्मा को कृष्ण का एक अंश बताया गया है जिसमें कृष्ण की शक्तियों का थोडा सा विस्तार है जबकि खुद कृष्ण शक्तियों का भण्डार हैं।
ईसा के पिता कौन हैं?
"हे कुंतीपुत्र! यूँ समझो की ये सभी प्राणी प्रकृति से उत्पन्न होते हैं और मैं उनका बीजप्रदत्त पिता हूँ।"गीता, 14,4
ईश्वरीय लोक के बारे में बाइबिल कहती हैं-
"वहां पर रात नहीं होती, न मोमबत्ती की जरूरत होती है, न सूर्य की, क्योंकि वहां ईश्वर सबकुछ प्रकाशित करता है और वो(मुक्तात्मा) वहां हमेशा हमेशा के लिए निवास करते हैं।"-(Revelation 22:5)
भागवत गीता कहती है-
"वो मेरा परमधाम न तो सूर्य या चंद्र के द्वारा प्रकाशित है और न अग्नि या बिजली के द्वारा। जो वहां जाते हैं वो लौट कर यहाँ नहीं आते।"-गीता, 15,6
बाइबिल का ईश्वर आदि और अंत है?
"मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ, आदि और अंत हूँ, प्रथम और अंतिम हूँ।"(Revelation 22:13)
कृष्ण कहते हैं-
"मैं इस सारे संसार का आदि अंत तथा मध्य हूँ।"- गीता, 10,32
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