Saturday 23 July 2016

सीता के भाग्य में हरण होना लिखा था?


विधि के विधान के कारण सीता का हरण हुआ?
सीता अति की सुंदर थी इसलिए हरण हुआ?
-इस तरह की अविद्या का हमें प्रचार नहीं करना चाहिए। सबसे पहले तो भाग्य और विधि के विधान असल में परमब्रह्म नहीं रचते(क्योंकि परमब्रह्म तो खुद कृष्ण हैं) बल्कि ब्रह्मा रचते हैं। भला ब्रह्मा सीता का भाग्य लिखने के अधिकारी कैसे हो सकते हैं? सीता तो सर्वेश्वरी हैं। वो असंख्य करोड़ ब्रह्माण्डों के ब्रह्माओं की धर्म माता हैं। असल में ब्रह्मा जो पूरे ब्रह्माण्ड के सबसे ऊपर रहकर प्राणियों पर शासन करते हैं वो श्रीमती सीता के अनुग्रह से ही संभव है। सीता की दया से ही ब्रह्मा सत्यलोक के स्वामी, जगत के रचयिता और सावित्री(वेदों की माता) के पति बन पाये थे। अगर सीता ब्रह्मा से विमुख हो जाएँ तो ब्रह्मा गिर जाएंगे।
जो स्वर्ग की स्वर्गलक्ष्मी हैं और जो तीनों लोकों की महालक्ष्मी हैं और जो ऐश्वर्यमय बैकुंठों की ठकुरानी है वो धन और ऐश्वर्य का भी उद्गम श्रोत सीता हैं। आपने देखा सीता का स्थान ब्रह्मा से बहुत बड़ा है। और ब्रह्मा सीता महारानी की दया दृष्टि पर हैं।
सीता का हरण होना ब्रह्मा का विधान या भाग्य नहीं बल्कि सीता की स्वयं की इच्छा से संभव हो पाया था। रावण और संसार तो यही सोचता था की सीता का हरण हुआ है लेकिन रावण ने जिसका हरण किया था वो तो माया की सीता थी। संसार के लोगों को लगता था की राम सीता से अलग हैं, लेकिन ये तो संसार की माता सती ने भी देखा था जब वो राम की परीक्षा लेने गयीं थी, वो जिधर देखतीं थी उधर राम और सीता युगल रूप में दीखते थे। ये घटना इसी बात का संकेत है की सीता कभी राम से दूर नहीं हुई थी। वो केवल अपनी इच्छा से लीला कर रहीं थी। वो अपने कर्म स्वेच्छा से करती हैं।

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