Friday 22 July 2016

हिंदुओं ने बनाये थे मिश्र के पिरामिड

मिश्र के पिरामिड, बेबीलोनिया के शिखर, मयान के पिरामिड मंदिर और भारत के मंदिर एक जैसे होते हैं। उनकी निर्माण शैली और  आकृति एक जैसी होती है। उनका निर्माण करने वाले पहले मनुष्य हिन्दू ही थे। असल में हिंदुओं ने सबसे पहले कहा था की देवता जिस गृह(लोक) पर रहते हैं उसे सुमेरु पर्वत कहते हैं जिसे ग्रीस वासियों ने ओलम्पस पर्बत कहा था।। हिन्दू अभी भी उसी तरह मंदिर बना रहे हैं और उसमें अपने देवताओं का भगवान् को पूजते हैं जबकि बाकी जगह मंदिर असल में केवल महान राजाओं को समर्पित रह गए हैं।

असल में मिश्र के सबसे पहले राजा को मनु उपाधि दी गयी थी क्योंकि उसने मिश्र को भारत जैसी कानून व्यवस्था दी थी। मिश्र वासी मापने के लिए सूत्र शब्द का प्रयोग करते थे।। इसी इकाई से भारत के यज्ञकुंड बनाये जाते थे। सुलब सूत्र में ये मापन विधि है और उसमे पाइथागोरस प्रमेह और वैदिक गणित का विस्तृत विवरण है। मिश्र के प्राचीन शासक उगते हुए और डूबते हुए सूर्य की पूजा करते थे, जैसे भारतीय संध्यावंदन करते हैं।

ईसा से लगभग तीन हज़ार एक सौ साल पहले मिश्र में एक नयी पीड़ी ने शासन करना शुरू किया था। क्योंकि वो हिन्दू थे इसलिए उन्होंने सबसे पहले राजा का नाम मनु(Manes)  रखा। मनु की एक और उपाधि नरमेर थी जो एक संस्कृत शब्द था जिसका अर्थ था मनुष्यों(नर) में पर्वत(मेरु)।

ग्रीस इतिहासकार डिओडोरुस सिकलुस (Diodorous Siculus) ने मिश्र के मनु को वहां की पहली न्याय व्यवस्था देने का गौरव दिया है।  देओडोरुस के अनुसार हरक्यूलस का सम्बन्ध भारत और मिश्र से है। हरक्यूलस को जुपिटर(देवताओं के राजा) का बेटा कहा है। और उसने भारत को जंगली साँपों से मुक्त किया था। हम सभी जानते हैं की देवताओं के राजा इंद्र हैं और उनके बेटे अर्जुन ने खांडवप्रस्थ के साँपों को ख़त्म कर दिया था। मिश्र के राजा और निवासी खुद को सूर्य की संतान कहते थे और सूर्यवंशी मानते थे।

#मिश्र की नदी का नाम #नील है क्योंकि उसका रंग नीला है। वहां के हर राजा के सर पर नाग का मुकुट होता था, बिल्कुल वैसा ही जैसे शिव के, या विष्णु के या राम और कृष्ण के सर पर नाग का प्रतीक होता था। भारतीय इतिहास में निमि का उल्लेख है जिन्होंने अपने शरीर को सुरक्षित रखवा लिया था। मिश्र वासी पिरामिड को बनाते थे क्योंकि उन्हें पुनर्जन्म और मृत्यु के बाद जीवन पर विश्वास था, जो एक हिन्दू मान्यता है।

पिरामिड को बनाने वाले निश्चित ही भारतीय वैष्णव थे। वो माथे पर और बाकी जगहों पर वैसा ही वैष्णव तिलक लगाते थे जैसा वैष्णव लगाते हैं। वो तुलसी और वनमाला भी धारण करते थे। मिश्र के प्राचीन सूर्यवंशी राजा भी इस तरह के #वैष्णव तिलक लगाते थे।

No comments:

Post a Comment