Sunday 10 July 2016

क्यों जलाते है पीपल के पेड़ के नीचे दीपक ?



पीपल का संस्कृत नाम अश्वत्थ है। यह हिंदुओं का सबसे पूज्य पेड़ माना जाता है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहते है। हिंदू दर्शन की मान्यता है इस पेड़ के पत्ते-पत्ते में देवताओं का वास होता है। विशेषकर भगवान विष्णु का। यही कारण है कि श्रीमदभागवत गीता में जब भगवान कृष्ण अपने रूपों के बारे में बताते हैं तो पेड़ों में खुद को पीपल कहते हैं।
हिंदू धर्मकोष के अनुसार इस मायामय संसार वृक्ष को अश्वत्थ कहा गया है। ऋगवेद में अश्वत्थ की लकड़ी के बर्तनों का उल्लेख मिलता है। इसकी लकड़ी आग जलाते समय शमी की लकड़ी के ऊपर रखी जाती है। अर्थववेद और छंदोग्य उपनिषद में इस पेड़ के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। इन्हीं धार्मिक विश्वासों के कारण इसकी पूजा-अर्चना करने व इसके नीचे दीप रखने की परंपरा है। भगवान विष्णु के कथन के अनुसार, जो व्यक्ति शनिवार को पीपल का पूजन करता है, उसके जीवन में आई बाधाएं शीघ्र दूर हो जाती हैं।
वेदों तथा प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख किया गया है कि पीपल के वृक्ष के नीचे देवता निवास करते हैं। जो मानव वहां पवित्र दीपक जलाता है, देवताओं की कृपा से उसका जीवन शुभत्व और कल्याण की ज्योति से प्रकाशित होता है। पीपल के नीचे दीपक जलाने से मनुष्य के जीवन का अंधकार समाप्त होता है और सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
स्कन्दपुराण में पीपल की विशेषता और उसके धार्मिक महत्व का उल्लेख करते हुए यह कहा गया है कि पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं। इस पेड़ को श्रद्धा से प्रणाम करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।

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