Wednesday 13 July 2016

लालच में आकर शिकारी को अपनी जान गंवानी पड़ी



     एक शिकारी रोज जंगल जाकर पशु-पक्षियों का शिकार करता था। एक दिन उसे बहुत भटकने के बाद भी शिकार नहीं मिला। थककर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। पेड़ पर उसे एक चिड़िया बैठी दिखाई दी।

   उसने खुश होकर चिड़िया पर निशाना साधा तो चिड़िया बोली- भाई, मुझे मत मारो। यदि तुम मुझे छोड़ दो तो मैं तुम्हें एक लाल दूंगी। उसे बेचकर तुम मालामाल हो जाओगे। शिकारी मान गया। चिड़िया ने अपने घोंसले में से एक लाल लाकर दे दिया।

    उसने सोचा कि यदि चिड़िया एक लाल दे सकती है तो दूसरा भी उसके पास होगा। यदि वह मुझे मिल जाए तो फिर ऐश से जिंदगी बिताऊंगा। उसने चिड़िया पर फिर निशाना साधा। चिड़िया ने डरकर एक लाल उसे और दे दिया।

       किंतु अब चिड़िया समझ गई कि शिकारी पर लोभ सवार हो गया है और उसके पास अब लाल भी नहीं हैं। वह अपने मित्र मगर के पास गई और अपनी समस्या उसे बताई। मगर बोला - अगली बार जब शिकारी आए तो उससे कहना कि मेरे पास बहुत से कीमती लाल हैं, जिन्हें मैंने नदी में छिपाकर रखा है। तुम उन्हें नदी में से निकाल लो।

      जब वह नदी में घुसे तो तुम चीं-चीं करना। बस, आगे मैं देख लूंगा। जब लोभी शिकारी चिड़िया से लाल मांगने आया तो चिड़िया ने मगर की समझाई हुई बात उससे कही। शिकारी खुश होकर नदी में उतरा। चिड़िया ने चीं-चीं कर मगर को सूचना दी।

    मगर ने शिकारी को अपना भोजन बना लिया। वस्तुत: लोभ की अति दुष्परिणाम देती है। इसलिए मन को नियंत्रण में रखना चाहिए।

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