Sunday 14 August 2016

कृष्ण हैं स्वयं भगवान्


वैदिक साहित्य सबसे प्राचीन साहित्य है। उसमें परमब्रह्म से सम्बंधित सारी जानकारी है। वो कैसा दीखता है, उसके गुण क्या क्या हैं, उनका इतिहास क्या है, वो कैसे इस संसार की रचना करता है और कैसे सबका पोषण करता है। उस परमब्रह्म के व्यक्तिवाचक स्वरुप को भगवान् कहते हैं। हर व्यक्तिवाचक का नाम होता है। भगवान् का नाम कृष्ण है।
💮कृष्ण के एक स्वरुप है। उनके दो हाथ, श्याम रंग है, सुन्दर नेत्र हैं और वो पीताम्बर धारण करते हैं। वो नित्य किशोर हैं, उनका स्वरुप असंख्य कामदेवों से अधिक सुंदर है। वो सद्चितानंद मय हैं, बाँसुरी बजाने वाले हैं और मोर पंख का मुकुट और कौस्तुभ मणि धारण करने वाले हैं। उनका शरीर परमब्रह्म तत्व से निर्मित है और प्राकृतिक गुण दोषों से रहित है।
💮कृष्ण में छः विशेष सम्पन्नताएँ हैं-
👉वो संसार के सबसे सुंदर और आकर्षक पुरुष हैं। असंख्य कामदेव भी उनकी शोभा के समक्ष नतमस्तक रहते हैं।
👉वो बैभावों के स्वामी हैं। आध्यात्मिक और प्राकृतिक जगत के धन आदि ऐश्वर्यों की देवी लक्ष्मी उनकी पत्नी है।
👉वो ज्ञान के स्वामी हैं। विद्या और अविद्या, वेद, पुराण, उपनिषद आदि का मूर्तमान्त स्वरुप सरस्वती भी उनकी पत्नी है।
👉वो संसार के सबसे यशश्वी पुरुष हैं। सारा संसार, पृथ्वी स्वर्ग आदि चौदह भुवन उनकी महिमा और यश का मण्डन करते हैं। उनकी यश गाथाएं असंख्य करोड़ ब्रह्मांडों में गायीं जाती हैं।
👉वो संसार के सबसे शक्तिमान पुरुष हैं। सात वर्ष की आयु में उन्होंने गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उठा लिया था। उन्हें कभी कोई नहीं पराजित कर सका। सारे संसार के सबसे शक्तिशाली प्राणी और सबके पूर्वज ब्रह्मा भी उनकी शक्ति के आगे विवश हैं। उन्होंने वाणासुर से युद्ध के समय शिव को पराजित करके स्वयं को संसार का एकमेव अपराजित योद्धा सिद्ध किया था।
💮उन्होंने न केवल स्वयं को सर्वेश्वर भगवान् घोषित किया है बल्कि सत्यापित भी किया है। कोई भी स्वयं को भगवान् कह सकता है लेकिन हर कोई साबित नहीं कर सकता---
👉 अर्जुन के द्वारा शंका करने पर भगवान् ने उसे अपना विश्वरूप दिखाया था जिसमे अर्जुन ने एक ही स्थान पर सत्यलोक से लेकर नागलोक तक के सारे लोकों को देख लिया था।
👉कृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को नख पर धारण किया था।
👉कृष्ण ने अपने स्वरुप का विस्तार 16100 रूपों में कर लिया था, मतलब कृष्ण एक से 16100 हो गए थे।
👉ब्रह्मा का गर्व तोड़ने के लिए कृष्ण ने सभी ग्वाल बाल और गायों का स्वरुप बना लिया था मतलब कृष्ण ही सभी ग्वालों और बछड़ों का किरदार निभाने लगे थे।
👉कृष्ण ने अपने मुख में सारा ब्रह्माण्ड दिखा दिया था।
👉जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब कृष्ण ने उसके चीर को अनंत गुणा बड़ा दिया था जिससे उनकी रक्षा हो सकी थी।
👉कृष्ण मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित कर सकते थे। उन्होंने देवकी के छः पुत्रों को दोबारा जीवित किया था।
👉कृष्ण मनुष्यों की व्याधि हरते थे। उन्होंने त्रिवक्रा को सुंदर स्त्री में परिवर्तित कर दिया था।
‪#‎कृष्ण_क्या_हैं‬?
💮परमपिता- "तुम ये समझो की ये सारे जीव प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं और मैं उनका बीज प्रदत्त पिता हूँ।"- गीता,14,4
💮संसार उत्पन्न करने वाले- "ये सारा संसार मेरे आधीन है। मेरी ही इच्छा से ये बार उत्पन्न होता है और फिर विलीन हो जाता है।" गीता, 9,8
"ये प्राकृतिक और आध्यात्मिक संसार मुझसे ही उत्पन्न हुआ है, मैं सबका आदिकारण हूँ। जो ये भली प्रकार जानता है वो सब भावों से मुझे ही भजता है।"-गीता 10,8
"मैं इस सारे संसार का आदि और अंत हूँ।" गीता 7,6
💮परम नियंता- "मैं अपने अंश मात्र से इस सारे संसार को धारण और पोषित करता हूँ।"-गीता,10, 42
💮पालनहार- "सूर्य मेरे तेज से प्रकाशित है। चंद्रमा और अग्नि भी मुझसे प्रकाशित हैं।"-गीता,15,12
"मैं सभी लोकों में प्रवेश करके उन्हें धारण करता हूँ।"-गीता,15,13
"ये प्रकृति मेरी ही अध्यक्षता में कार्य करती है।"गीता, 9,10
💮सर्वव्यापक- "मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में स्थित परमात्मा हूँ और मैं ही सबका आदि अंत तथा मध्य हूँ।"गीता,10,20
💮सबसे श्रेष्ठ- "मुझसे परे कोई और सत्य नहीं हैं सारा संसार मणि में धागे की तरह मुझमें गुथा है।"-गीता, 7,7
💮सर्वज्ञ- "हे अर्जुन अतीत में हुए सब प्राणियों को मैं जानता हूँ, वर्तमान और भविष्य में होने वाले प्राणियों को भी मैं जानता हूँ।"-गीता 7,26
"हे अर्जुन मेरे और तेरे कई जन्म हो चुके हैं, तू उन्हें नहीं जानता, मैं जानता हूँ।"-गीता,4,5
‪#‎भगवान्_एक_है‬-
"जो दुसरे देवताओं की पूजा करते हैं असल में वो भी मेरी ही पूजा करते हैं और उन्हें मिलने वाले फल मैंने ही नियत किये हैं, लेकिन वो उस पूजा को गलत प्रकार से करते हैं इसलिए गिरते हैं(पुनर्जन्म होता है)। हे अर्जुन मैं सभी यज्ञों का परमभोक्ता और स्वामी हूँ।"गीता,9,24

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