Sunday, 14 August 2016

संकट का सामना करने के लिए साहस जरूरी

शिक्षाप्रदकहानियां‬-
किसी महात्मा की कुटिया में एक चूहा रहता है। बिल्ली उधर से निकलती तो चूहा डर से कांपने लगता। एक दिन महात्मा ने चूहे से उसके भय का कारण पूछा। चूहे ने बिल्ली का भय बताया, साथ ही महात्मा से प्रार्थना की- मुझे बिल्ली बना दीजिए ताकि निर्भय रह सकूं। महात्मा ने वैसा ही किया।
चूहा बिल्ली बन गया और उस क्षेत्र में सिर उठाकर विचरने लगा, लेकिन कुत्तों ने उसे देखा तो खदेड़ने लगे। बिल्ली ने अपने ऊपर संकट आता देखकर महात्मा से कुत्ता बना देने का अनुरोध किया दयालु महात्मा ने वैसा ही किया। बिल्ली अब कुत्ता बनकर भौकने लगा, तो भेड़िया उसकी गंध पाते ही उसे खाने के लिए चक्कर लगाने लगे। कुत्ते ने इस मुसीबत को देख महात्मा से भेड़िया बनाने की प्रार्थना की। महात्मा ने उसे भेड़िया बना दिया। भेड़िये को सिंह अपना घोर शत्रु मानते है। इसलिए सिंह उसे मारने पर उतारू हो गया। अत: उसने महात्मा से सिंह बना देने की प्रार्थना की। इस बार भी महात्मा ने उसकी कामना पूरी कर दी। बहुत दिन नहीं बीते थे कि शिकारियों का एक दल उसे मारने के लिए उसकी तलाश करने लगा। वरदान से बने सिंह को जब पता चला तो संकट की घड़ी सिर पर मंडराते देखी। जाता कहां, महात्मा के पास ही पहुंचा, लेकिन अब की बार महात्मा की मुद्रा बदली हुई थी। उन्होंने कमंडल से जल छिड़का और सिंह को चूहा बना दिया। बोले- संकत का सामना करने का जिसमें साहस नहीं, उसका दूसरों की सहायता से कब तक काम चल सकता है। किसी कार्य का पूर्ण रूप से संपादन तो स्वयं ही करना पड़ेगा।
‪#‎शिक्षा‬ - दूसरों की मदद से ज्यादा दिन काम नहीं चल सकता। जब व्यक्ति दूसरों पर ही निर्भर हो जाता है तो वे भी उससे कन्नी काटने लगते हैं।

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