Sunday 14 August 2016

देश भक्ति का संदेश दिया वीरांगना ने

शिक्षाप्रद कहानियां-
बात देश की प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय की है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना तकरीबन समाप्त हो चुकी थी, अंग्रेजों के हमले से किले की दीवारें टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिने-चुने सैनिक ही शेष रह गए थे तय हुआ था कि रानी को अन्यत्र चले जाना चाहिए। प्रश्न यह था कि यदि इसकी जरा भी भनक अंग्रेज अधिकारियों को लग गई , तो रानी के पकड़े जाने और मारे जाने का भय था तभी एक महिला सिपाही बोली कि वह इस काम को कर सकती हैं।
उसकी योजना के अनुसार वह महिला सिपाही रानी का वेष धारण कर अंग्रेज छावनी में जा पहुँची। उसने बाहर से ही ललकार लगाई –मैं हूं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई। किसी में दम है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाए । अंग्रेज अधिकारियों में खलबली मच गई। रानी को अपनी छावनी में देखकर वे सभी स्तब्ध रह गए। तभी किसी गद्दार ने उन्हें बता दिया कि रानी लक्ष्मीबाई नहीं हैं। यह बात सनकर अंग्रेजों को क्रोध आ गया और वे उस पर टूट पड़े। तभी किसी ने समाचार दिया कि रानी रात के अंधेरे में ही कहीं भाग गई। वह महिला अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई।
अंग्रेज सेनापति ने उसकी वीरता देख कहा-यदि भारत की एक प्रतिशत महिलाएं भी इस कदर राष्ट्र रक्षा हेतु आगे आएं तो हमें सात दिन के अंदर ही भारत छोड़ना पड़ जाएगा । इधर, यह सब होता रहा और उधर रानी सुरक्षित कालपी पहुंच गई। इस लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए जिस महिला सिपाही ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, उसका नाम था-झलकारी बाई, जिसका नाम इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई की भांति ही अमर हो गया।
शिक्षा – पराधीन भारत को आजाद कराने के लिए वीरांगना झलकारी बाई ने अपने त्याग से हमें संदेश दिया कि राष्ट्र से ऊपर कोई नहीं होता और उसकी रक्षा के लिए हर बलिदान नाकाफी हैं।

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