धारणा है कि प्रकाश की गति की गणना , प्रथम बार स्कॉटलेंड के एक वैज्ञानिक 'जेम्स क्लर्क मेक्सवेल ने उन्नीसवी सदी मे की थी । इससे पूर्व यह किसी को ज्ञात ही न था । यह धारणा सही नहीं है, देखिये किस प्रकार....
ऋग्वेद मे एक मंत्र आता है-
अर्थ:- सूरज जल्दी से सारी दुनिया में व्याप्त हो जाता है ।
इस ऋचा को पढ़कर सायनाचार्य ने टिप्पणी के रूप में सूर्य की एक और स्तुति लिखी, जो इस प्रकार है...
अर्थात सूर्य से मिलनेवाला प्रकाश आधे निमिष में २२०२ योजन की यात्रा करता है । निमिष समय की इकाई है । आइये अब इस गणना को आधुनिक इकाइयो के रूप मे परिवर्तित करते है--
मनुस्मृति के इस श्लोक के अनुसार --
पलक झपकने के समय को 1 निमिष कहा जाता है !
18 निमीष = 1 काष्ठ;
30 काष्ठ = 1 कला;
30 कला = 1 मुहूर्त;
30 मुहूर्त = 1 दिन व् रात (लगभग 24 घंटे )
अतः एक दिन (24 घंटे) में निमिष हुए :
24 घंटे = 30*30*30*18= 486000 निमिष
24 घंटे में सेकंड हुए = 24*60*60 = 86400 सेकंड
86400 सेकंड =486000 निमिष
अतः 1 सेकंड में निमिष हुए :
1 निमिष = 86400 /486000 = .17778 सेकंड
1/2 निमिष =.08889 सेकंड
1 योजन = 8 मील
2202 योजन = 8 * 2202 = १७६१६ मील
सूर्य प्रकाश 1/2 (आधे) निमिष में 2202 योजन चलता है अर्थात
.08889 सेकंड में १७६१६ मील चलता है ।
.08889 सेकंड में प्रकाश की गति = १७६१६ मील
1 सेकंड में = १७६१६ / .08889 = 198177 मील लगभग
आज की प्रकाश गति गणना १८६२८२.३९७ मील प्रति सेकंड लगभग
जो कि आधुनिक विज्ञान द्वारा मापी गयी प्रकाश की गति के लगभग समकक्ष बैठती है । किन्तु आधुनिक विज्ञान अनेकों उपकरणो की सहायता से यह सब ज्ञात करता है किन्तु इस राष्ट्र के ऋषि मुनि वेदऋचाओ के सिद्धत्व से, योग से, तरंगविज्ञानादि के द्वारा सृष्टिविज्ञान के रहस्यो को सहज ही जान पाते थे।
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