Wednesday, 3 February 2016

राजकुमारी और दास


एक था दास और एक थी राजकुमारी-
एक राजकुमारी का दिल एक दास पर आ गया. वह उस दास से विवाह करना चाहती थी. राजा ने कितने ही प्रयत्न किए कि राजकुमारी उस दास को भूल जाए, मगर हुआ उसका उल्टा l
अंत में दूर देश से एक विद्वान की सेवा ली गई. उस विद्वान ने राजा को एक युक्ति सुझाई. राजा ने उस अजीब युक्ति को तो पहले स्वीकारने से इंकार कर दिया मगर जब देखा कि और कोई चारा नहीं है तो मान गया l
राजा ने राजकुमारी को बुलाया और कहा – राजकुमारी, तुम उस दास से विवाह कर सकती हो, मगर तुम्हें हमारी एक शर्त माननी होगी. शर्त भी तुम्हारे अनुकूल ही है. वह शर्त है – दुनिया जहान से दूर सिर्फ एक ही कमरे में तुम्हें और दास को एक महीने साथ रहना होगा. सुख सुविधा तमाम उपलब्ध होगी, मगर तुम दोनों उस कमरे से बाहर नहीं जा सकोगे. यदि एक महीना साथ रह लिए तो फिर तुम दोनों विवाह कर सकोगे. बोलो मंजूर है?
राजकुमारी को और क्या चाहिए था! वह सहर्ष तैयार हो गई. राजकुमारी और दास के एक ही कमरे में साथ रहने का पहला सप्ताह तो बढ़िया गुजरा. दूसरे सप्ताह में बोरियत होने लगी और राजकुमारी को दास के कुछ कार्य और आदतें परेशान करने लगी. तीसरे हफ़्ते आते आते दोनों में झगड़ा हो गया और चौथे हफ़्ते की शुरूआत में राजकुमारी ने दास को बर्दाश्त से बाहर पाया और कमरे से बाहर आ गई!
दोस्तो..!!
"अलग रहना आसान है, साथ रहना बेहद मुश्किल!"

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