एक बार कृष्ण भगवान् हस्तिनापुर महल की राज सभा में बैठे हुए थे। कृष्ण भगवान् ने कौरवों के राजकुमार दुर्योधन को अपने पास बुलाया और एक कीमती हीरों की पोटली देकर कहा इस सभा में जो भी तुमको श्रेष्ठ लगे, उन सभी में यह हीरे बाँट दो।
दुर्योधन हीरे लेकर सारी सभा में घूमने लगा। घूम कर वापस आकर हीरो की पोटली कृष्ण भगवान् को वापिस करके बोला, भगवान् इस सभा में कोई भी श्रेष्ठ नहीं है।
भगवान् श्री कृष्ण मुस्कुराये और फिर वही पोटली पांडवों के ज्येष्ठ राजकुमार युधिष्ठिर को देकर बोले इस सभा में जो भी तुमको श्रेष्ठ लगे उसमे यह हीरे बाँट दो।
युधिष्ठिर हीरो की पोटली लेकर सभा का चक्कर लगा कर वापिस आ गए।
आकर श्री कृष्ण भगवान् से कहने लगे - भगवान् आपने बहुत कम हीरे दिए हैं। यहाँ पर तो एक से एक श्रेष्ठ लोग बैठे हुए है।
इस पर भगवान् श्री कृष्ण ने कहा जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि !!
Always think positive
दुर्योधन हीरे लेकर सारी सभा में घूमने लगा। घूम कर वापस आकर हीरो की पोटली कृष्ण भगवान् को वापिस करके बोला, भगवान् इस सभा में कोई भी श्रेष्ठ नहीं है।
भगवान् श्री कृष्ण मुस्कुराये और फिर वही पोटली पांडवों के ज्येष्ठ राजकुमार युधिष्ठिर को देकर बोले इस सभा में जो भी तुमको श्रेष्ठ लगे उसमे यह हीरे बाँट दो।
युधिष्ठिर हीरो की पोटली लेकर सभा का चक्कर लगा कर वापिस आ गए।
आकर श्री कृष्ण भगवान् से कहने लगे - भगवान् आपने बहुत कम हीरे दिए हैं। यहाँ पर तो एक से एक श्रेष्ठ लोग बैठे हुए है।
इस पर भगवान् श्री कृष्ण ने कहा जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि !!
Always think positive
"धन"
को एकत्रित करना आसान हैं,लेकिन........
"संस्कारों"को एकत्रित करना उतना ही कठिन......!!
अत:
बच्चों को"धन"नही,
"संस्कार"दिजिये.....!!
को एकत्रित करना आसान हैं,लेकिन........
"संस्कारों"को एकत्रित करना उतना ही कठिन......!!
अत:
बच्चों को"धन"नही,
"संस्कार"दिजिये.....!!
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