Sunday 26 June 2016

गेहूं -


गेहूं से हम सब परिचित हैं | यही वह अनाज है जिसका उपयोग भोजन बनाने में किया जाता है तथा सारे खाने वाले पदार्थों में गेहूं का महत्वपूर्ण स्थान है|
सभी प्रकार के अनाजों की अपेक्षा गेहूं में पौष्टिक तत्त्व अधिक होते हैं इसलिए गेहूं अनाजों में राजा कहलाता है | हमारे देश में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है |
गेहूं में चर्बी का अंश कम होता है अत: गेहूं के आटे की रोटी के साथ उचित मात्रा में घी या तेल का सेवन करना चाहिए,इससे शरीर में ताकत की वृद्धि होती है| घी के साथ गेहूं का आहार सेवन करने से पेट में गैस बनना तथा कब्ज़ दूर होती है |
गेहूं से बनी मैदा पचने में भारी होती है | अत: कमजोर पाचनशक्ति वालों को गेहूं के मैदे की रोटी या पूड़ी नहीं खानी चाहिए |
आज हम आपको गेहूं के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -
१- गेहूं की रोटी एक तरफ से सेक लें तथा एक तरफ कच्ची रहने दें | फिर रोटी के कच्चे भाग पर तिल का तेल लगाकर सूजन वाले भाग पर बाँध दें | इससे सूजन तथा दर्द दूर हो जाएगा |
२- गेहूं को गर्म तवे पर खूब अच्छी तरह से सेक लें और जब वो बिलकुल राख की तरह हो जाए तो इसे पीसकर सरसों के तेल में मिलकर पीड़ित स्थान पर लगाएं | इससे वर्षों के पुराने चर्म रोग जैसे खर्रा ,दाद आदि ठीक हो जाते हैं |
३- गेहूं की राख,घी और गुड़ तीनो को बराबर मात्रा में मिला लें । इसका एक - एक चम्मच सुबह- शाम खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है |
४- सौंफ को पानी में पीसकर छान लें तथा इस पानी में गेहूं का आटा गूंथकर रोटी बना लें | इस रोटी को खाने से दस्त और पेचिश ठीक हो जाते हैं |
५ - गेहूं का अंकुरण हो जाने पर जो पौधा उगता है ,उसे ज्वारा कहते हैं | इस ज्वारे का रस पित्तजनित रोगों को ठीक करने में लाभकारी है |
कैंसर ,भगन्दर ,बवासीर ,मधुमेह ,पीलिया ,ज्वर ,दमा ,खांसी आदि पुराने असाध्य रोग भी गेहूं के पौधे के रस से ठीक हो सकते हैं |
ज्वारे का रस बनाने की विधि -
सात मिटटी के गमलें लें | उसमे से रोज़ एक गमले में आधी मुट्ठी उत्तम क्वालिटी के गेहूं के दाने बो दें और छाया में रखकर उसमे थोड़ा -थोड़ा पानी प्रतिदिन डालते रहें | इस प्रकार सात दिन तक सात गमलों में गेहूं बोयें |
जिस मिट्टी में ये गेहूं बोयें , उसमे खाद अधिक नहीं होना चाहिए | तीन - चार दिन बाद पौधे उग आएंगे तथा ८- १० दिन में पौधे ७-८ इंच के हो जायेंगे | तब आप उसमें से पहली दिन बोये हुए सारे पौधे जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दें और बचे हुए भाग को साफ़ धोकर उन्हें पीसकर व छानकर रस तैयार कर लें |
यह ताजा रस सुबह -शाम रोगी को दें | रस पिलाने के दो घंटे बाद तक रोगी को कुछ खिलाना पिलाना नहीं चाहिए | जब पहले गमले के ज्वारे उखाड़े तो उसमें गेंहू के नए दाने बो दें |

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