Saturday 25 June 2016

रूप

एक समय की बात है किसी गाँव में एक साधु रहता था, वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या किया करता था । उसका भगवान पर अटूट विश्वास था और गाँव वाले भी उसकी इज्ज़त करते थे।
एक बार गाँव में बहुत भीषण बाढ़ आ गई । चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों की तरफ बढ़ने लगे । जब लोगों ने देखा कि साधु महाराज अभी भी पेड़ के नीचे बैठे भगवान का नाम जप रहे हैं तो उन्हें यह जगह छोड़ने की सलाह दी । परंतु साधु ने कहा-
” तुम लोग अपनी जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!”
धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता गया और पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा, इतने में वहां से एक नाव गुजरी।

मल्लाह ने कहा- ” हे साधू महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा ।”
“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा !! “, साधु ने उत्तर दिया।
नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया।
कुछ देर बाद बाढ़ और प्रचंड हो गयी, साधु ने पेड़ पर चढ़ना उचित समझा और वहां बैठ कर ईश्वर को याद करने लगा । तभी अचानक उन्हें गड़गडाहट की आवाज़ सुनाई दी, एक हेलिकोप्टर उनकी मदद के लिए आ पहुंचा, बचाव दल ने एक रस्सी लटकाई और साधु को उसे जोर से पकड़ने का आग्रह किया।
पर साधु फिर बोला-” मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा ।”
उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया ।
कुछ ही देर में पेड़ बाढ़ की धारा में बह गया और साधु की मृत्यु हो गयी ।
मरने के बाद साधु महाराज स्वर्ग पहुंचे और भगवान से बोले -. ” हे प्रभु ! मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की… तपस्या की पर जब मै पानी में डूब कर मर रहा था तब तुम मुझे बचाने नहीं आये, ऐसा क्यों प्रभु ?
भगवान बोले, ”हे महात्मन् मै तुम्हारी रक्षा करने एक नहीं बल्कि तीन बार आया, पहला, ग्रामीणों के रूप में, दूसरा नाव वाले के रूप में, और तीसरा हेलीकाप्टर बचाव दल के रूप में. किन्तु तुम मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए ।"

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