Sunday 12 June 2016

🌿मीरा चरित (12)

॥जय गौर हरि ॥

क्रमशः से आगे.............
कल गुरु पूर्णिमा है ।मीरा श्याम कुन्ज में बैठी हुई सोच रही है -सदा से इस दिन गुरु -पूजा करते आ रहे है ।शास्त्र कहते है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता , वही परमतत्व का दाता है ।तब मेरे गुरु कौन ?
वह एकदम से उठकर दूदाजी के पास चल पड़ी ।वहाँ जयमल ,(वीरमदेव जी के पुत्र और मीरा के छोटे भाई ) दूदाजी से तलवारबाज़ी के दाव पैच सीख रहे थे ।मीरा दूदाजी को प्रणाम कर भाई की बात खत्म होने की प्रतीक्षा करते बैठ गई ।पर जयमल तो युद्ध, घोड़ों और धनुष तलवार के बारे में वीरता से दूदाजी से कितने ही प्रश्न पूछते जा रहे थे ।
मीरा ने भाई को टोकते हुए कहा," बाबोसा से मुझे कुछ पूछना था ।पूछ लूँ तो फिर भाई ,आप बाबोसा के साथ पुनः महाभारत प्रारम्भ कर लेना ।तलवार जितने तो आप हो नहीं अभी और युद्ध पर जाने की बातें कर रहे हो ।"
जयमल और दूदाजी दोनों मीरा की बात पर हँस पड़े ।
मीरा अपनी जिज्ञासा रखती हुई बोली ," बाबोसा !शास्त्र और संत कहते है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता ।मेरे गुरु कौन है?"
" है तो सही, बाबा बिहारी दास और योगी निवृतिनाथ जी ।" जयमल ने कहा ।
" नहीं बेटा ! वे दोनों मीरा के शिक्षा गुरू है -एक संगीत के और दूसरे योग के , पर वे दीक्षा गुरू नहीं ।सुनो बेटी ! इस क्षेत्र में अधिकारी कभी भी वंचित नहीं रहता ।तृषित यदि स्वयं सरोवर के पास नहीं पहुँच पाता तो सरोवर ही प्यासे के समीप पहुँच जाता है ।बेटी ! तुम अपने गिरधर से प्रार्थना करो ,वे उचित प्रबन्ध कर देंगें ।"
" गुरु होना आवश्यक तो है न बाबा ?"
"आवश्यकता होने पर अवश्य ही आवश्यक है ।गुरु तो एक ऐसी जलता हुआ दिया है जो तुम्हारा भी अध्यात्मिक पथ प्रकाशित कर देते है ।फिर गुरु के होने से उनकी कृपा तुम्हारे साथ जुड़ जाती है।------यों तो तुम्हारे गिरधर स्वयं जगदगुरू है ।"
" वो तो है बाबोसा पर मन्त्र ?"
उसके इस प्रश्न पर दूदाजी हँस दिये - "भगवान का प्रत्येक नाम मन्त्र है बेटी ।उनका नाम उनसे भी अधिक शक्तिशाली है, यही तो अभी तक सुनते आये हैं ।"
" वह कानों को प्रिय लगता है बाबोसा ! पर आँखें तो प्यासी रह जाती है ।"अनायास ही मीरा के मुख से निकल पड़ा पर बात का मर्म समझ में आते ही सकुचा गई और उसने दूदाजी की ओर पीठ फेर ली ।
"उसमें( भगवान के नाम में) इतनी शक्ति है किमें) आँखों की प्यास बुझाने वाले को भी खींच लाये ।"उसकी पीठ की ओर देखते हुये मुस्कुरा कर दूदाजी ने कहा ।
" जाऊँ बाबोसा ? " मीरा ने सकुचा कर पूछा ।
"हाँ , जाओ बेटी ।"
जयमल ने आश्चर्य से पूछा ," बाबोसा ! जीजा ने यह क्या कहा और उन्हें लाज क्यों आई ?"
" वह तुम्हारे क्षेत्र की बात नहीं है बेटा ।बात इतनी सी है कि भगवान के नाम में भगवान से भी अधिक शक्ति है और उस शक्ति का लाभ नाम लेने वाले को मिलता है ।"
मीरा श्याम कुन्ज लौट आई और ठाकुर से निवेदन कर बोली ," कल गुरु पूर्णिमा है, अतः कल जो भी संत हमारे घर पधारेगें , वे ही प्रभु आपके द्वारा निर्धारित गुरू होंगे ।"
मीरा ने अपना तानपुरा उठाया और गाने लगी...........
🌿मोहि लागी लगन गुरु चरणन की ।
🌿चरण बिना मोहे कछु नहिं भावे,
जग माया सब सपनन की ॥
🌿भवसागर सब सूख गयो है ,
फिकर नहीं मोही तरनन की ॥
🌿मीरा के प्रभु गिरधर नागर ,
आस लगी गुरु सरनन की ॥
🌿मोहे लागी लगन गुरू चरणन की🌿
क्रमशः ............
श्री राधारमणाय समर्पणं

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