Monday 6 June 2016

मरने के बाद किस पाप की कौन सी सजा भुगतनी पड़ती है



परिचय

नरक नाम सुनते ही मन में एक भयानक जगह की कल्पना होती है। जहां हर इंसान को अपने बुरे कामों की सजा मिलती है। मनुष्य के मन में कोई भी बुरा काम करने से पहले नर्क का खौफ जरूर आता है क्योंकि हिंन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इंसान को अपने कर्मों की सजा नर्क में ही मिलती है। हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों ने 36 तरह के मुख्य नर्कों का वर्णन किया गया है। गरूड़ पुराण, अग्रिपुराण, कठोपनिषद जैसे प्रामाणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।

महावीचि

यह नर्क पूरी तरह रक्त यानी खून से भरा है और इसमें लोहे के बड़े-बड़े कांटें हैं। जो लोग गो-हत्या करते हैं उन्हें इस नर्क में यातना भुगतनी पड़ती है।

कुंभीपाक

इस नर्क की जमीन गरम बालू और अंगारों से भरी है। जो लोग किसी की भूमि हड़पते हैं या ब्राह्मण की हत्या करते हैं। उन्हें इस नर्क में आना पड़ता है।

रौरव

यह लोहे के जलते हुए तीर होते हैं। जो लोग झूठी गवाही देते हैं उन्हें इन तीरों से बींधा जाता है।

मंजूष

यह जलते हुए लोहे जैसी धरती वाला नर्क है। यहां उनको सजा मिलती है जो दूसरों को निरपराध बंदी बनाते हैं या कैद में रखते हैं।

अप्रतिष्ठ

यह पीब, मूत्र और उल्टी से भरा नर्क है। यहां वे लोग यातना पाते हैं जो ब्राह्मणों को पीड़ा देते हैं या सताते हैं।

विलेपक

यह लाख की आग से जलने वाला नर्क है। यहां उन ब्राह्मणों को जलाया जाता है जो शराब पीते हैं।

परमहंस स्वामी महावीरानंद सरस्वती

मरने के बाद किसको कोन सी सजा भुगतनी पड़ती है
शाल्मलि
यह जलते हुए कांटों से भरा नर्क है। जो औरत कई पुरुषों से संभोग करे, जो व्यक्ति हमेशा झूठ बोले, कड़वा बोले, दूसरों के धन और स्त्री पर नजर डाले, पुत्रवधु, पुत्री, बहन आदि से शारीरिक संबंध रखे, वृद्ध की हत्या करे, ऐसे लोगों को यहां लाया जाता है।
महारौरव
इस नर्क में चारों तरफ आग ही आग होती है। जैसे किसी भट्टी में होती है। जो लोग दूसरों के घर, खेत, खलिहान या गोदाम में आग लगाते हैं वे यहां जलाए जाते हैं।
तामिस्र
इस नर्क में लोहे की पट्टियों और मुग्दरों से पिटाई की जाती है। यहां चोरों को यातना मिलती है।
महातामिस्र
इस नर्क में जौंके भरी हुई हैं, जो इंसान का रक्त चूसती हैं। माता, पिता और मित्र की हत्या करने वाले को इस नर्क में जाना पड़ता है।
असिपत्रवन
यह नर्क एक जंगल की तरह है जिसके पेड़ों पर पत्तों की जगह तीखी तरवारें और खड्ग हैं। मित्रों से दगा करने वाला इंसान इस नर्क में गिराया जाता है।
परमहंस स्वामी महावीरानंद सरस्वती

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