Wednesday 8 June 2016

शहद से 121 रोगों का इलाज : /3/


91. टॉन्सिल की गिल्टियाँ :
काली मिर्च का पाउडर, शहद और हल्दी मिक्स करके गले पर गिल्टियों के स्थान पर लगाये गिल्टियाँ जल्द ठीक होती है।
92. हिस्टीरिया :
शहद या दूध के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम घोड़ बच (बच) को रोजाना रोगी को देते रहने से हिस्टीरिया रोग खत्म हो जाता है।
इसको अधिक मात्रा में नहीं देना चाहिए अन्यथा उल्टी और सिर दर्द हो सकता है।
लगभग 10 ग्राम शहद या केले के फल के रस के साथ ऊंटकटेरा की जड़ का सेवन करने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है।
93. कण्ठमाला :
10 ग्राम सिरस के बीजों के चूर्ण को कपड़े में छानकर उसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर किसी कांच के बर्तन में डालकर 15 दिन के लिये धूप में रख दें। 15 दिन के बाद चूर्ण को रोजाना सुबह 5 से 10 ग्राम तक खायें और ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध पी लें। इससे कण्ठमाला (गले की गांठों) में आराम आता है।
94. चेचक (बड़ी माता) :
शहद चाटने से चेचक में लाभ होता है।
95. क्रोध :
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1 ग्राम घोड़ बच के साथ शहद सुबह और शाम को रोजाना खाने से क्रोध शांत हो जाता है।
शहद के साथ 7 मिलीलीटर से 10.50 मिलीलीटर गुरुच का रस मिलाकर सुबह-शाम को खाने से पित्त द्वारा उत्पन्न क्रोध शांत हो जाता है।
96. नाखूनों का जख्म :
नाखूनों के जख्म में हरीतकी पानी में पीसकर शहद में मिलाकर नाखून पर लेप करने से नाखून का दर्द व जख्म शीघ्र ठीक हो जाता है।
97. पीलिया रोग :
शुरू में दो दिन तक एक चम्मच मधु की खुराक दो बार दें फिर चार दिन आधे चम्मच के साथ मधु और आंवले का चूर्ण मिलाकर तीन बार दें। अगले चार दिन आधा चम्मच मधु और लौह चूर्ण मिलाकर तीन बार दें।
प्रतिदिन तीन बार एक-एक चम्मच शहद एक गिलास पानी में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
98. नसूर (पुराना घाव) :
सेंधानमक तथा शहद लपेटकर बत्ती बना लें, इसे नासूर पर रखने से घाव में पीव का बनना बंद हो जाता है।
99. मिरगी (अपस्मार) :
10 ग्राम शहद के साथ 10 ग्राम ब्राह्मी के पत्तों को मिलाकर रोजाना खिलाने से मिरगी के दौरे दूर हो जाते हैं।
100. दाद :
शहद के साथ मजीठ को पीसकर लगाने से हर प्रकार के दाद और चमड़ी के रोग ठीक हो जाते हैं।
101. पसलियों का दर्द :
सिन्दूर की थोड़ी मात्रा शहद में मिलाकर साफ कपड़ें पर लगाकर कपड़े को पसलियों के दर्द वाले जगह पर चिपका दें और पसली की सिकाई करें तो रोग में जल्द आराम मिलता है।
102. मिरगी (अपस्मार) :
शहद के साथ 5 ग्राम भैंस के खुर की भस्म को चाटने से मिरगी के कारण आने वाले दौरे दूर हो जाते हैं।
103. सूखा रोग :
शुद्ध शहद को मां के दूध में मिलाकर बच्चे को 20-25 दिन तक रोजाना पिलाएं।
104. तुण्डिका शोथ (टांसिल) :
दालचीनी को पीसकर उसमें शहद मिलाकर दिन में दो बार चाटने से तुण्डिका शोथ (टांसिल) का रोग ठीक हो जाता है।
105. विसर्प-फुंसियो का दल बनना :
आटे और शहद को मिलाकर लेप बना लें। फिर इसे किसी कपडे़ के टुकड़े पर लगाकर फुंसियों पर लगा लें इससे जल्द लाभ होगा।
1 गिलास गर्म पानी में 3 चम्मच शहद को मिलाकर कुछ महीनों तक रोजाना पीने से फोड़े और फुंसिया दूर हो जाती है।
शहद या नारियल के पानी के साथ 0.24 ग्राम से 0.48 ग्राम केसर को सुबह और शाम सेवन करने से फुंसिया का जहर या बहने वाला मवाद बाहर आकर रोग ठीक हो जाता है।
106. मानसिक उन्माद (पागलपन) :
लगभग 0.58 ग्राम शहद के साथ 0.40 ग्राम ब्राह्मी के पत्तों का रस और लगभग 0.15 ग्राम कूट के चूर्ण को मिलाकर पीने से पागलपन या उन्माद रोग दूर हो जाता है।
शहद के साथ 10 मिलीलीटर ब्राह्मी का रस और 2 ग्राम कूठ के चूर्ण को मिलाकर खाने से बुद्धि का विकास होता है और उन्माद या पागलपन ठीक हो जाता है।
शहद के साथ 10 मिलीलीटर ब्राह्मी के पत्तों के रस और 3 ग्राम कुलिंजन के चूर्ण को मिलाकर दिन में तीन बार उन्माद के रोगी को चटाने से उसकी यह बीमारी ठीक हो जाती है।
107. कुष्ठ (कोढ़) :
शहद, मोम, सेंधानमक, गुड़, गूगल, गेरू, घी, आक (मदार) का दूध और राल का लेप करने से बहुत दिनों की `बिवाई फटना´ (एड़िया फटना) तथा `पांव फटना´ ठीक हो जाते हैं।
शहद या मीठे तेल में नौसादर को मिलाकर लगाने से सफेद कोढ़ मिट जाता है।
108. बालाक्षेप, बालाग्रह :
शहद को 1 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण के साथ चटाने से बच्चों के सभी रोगों में लाभ होता है।
109. बच्चों का पेट बड़ा होना :
रोजाना सुबह ठंडे पानी में शहद मिलाकर शर्बत की तरह पिलाने से बच्चें का बढ़ा हुआ पेट कम हो जाता है।
110. बालातिसार और रक्तातिसार :
बराबर मात्रा में बेल के फल का मज्जा, धातकी पुष्प, सुगंधवाला प्रकन्द, लोध्र छाल और गज पिप्पली का चूर्ण शहद के साथ दिन में 2 से 3 बार लेना चाहिए।
3 से 6 ग्राम इन्द्रयव को नागरमोथा के साथ काढ़ा बनाकर और उसमें शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से बच्चों का रक्तातिसार (खूनी दस्त) दूर हो जाता है।
111. बच्चों के रोग :
चौकिया सुहागा का फूला शहद में मिलाकर दांत और मसूढ़ों की जड़ में मलने से बच्चों के दांत निकलते वक्त दर्द नहीं होता और दांत आसानी से निकल आते है तथा अतिसार (दस्त) व ज्वर (बुखार) भी ठीक हो जाता है।
सोनागेरू को शहद में मिलाकर बच्चों को चटाने से भी उल्टी और हिचकी दूर हो जाती है।
अगर पेट बहुत ज्यादा बढ़ गया हो और उसे कम करना हो, तो शीतल जल (ताजे पानी में) शहद मिलाकर रोजाना सुबह पीने से लाभ होता है।
धाय के फूल, बेलगिरी, धनिया, लोध, इन्द्रजौ और सुगन्धवाला को बारीक पीसकर शहद में मिलाकर चटनी की तरह चाटने से बच्चों का ज्वारातिसार (बुखार और दस्त) वात-विकार (गैस की बीमारी) समाप्त हो जाती हैं।
पीपल वृक्ष की छाल (पीपल के पेड़ की खाल) और कोंपल (मुलायम पत्तों) को पीसकर शहद में मिलाकर लगाने से मुख पाक (मुंह के छाले) दूर हो जाते हैं।
10 मिलीलीटर रस अडूसा, 10 ग्राम शहद और डेढ़ ग्राम जवाक्षर को एक साथ मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को दिन में 3-4 बार चटाने से बच्चों की कठिन से कठिन खांसी दूर हो जाती है।
शहद में छोटी पीपल का बारीक चूर्ण मिलाकर चटाने से बच्चों की खांसी, ज्वर, तिल्ली, अफारा (गैस) तथा हिचकी समाप्त होती है।
एक से डेढ़ ग्राम काकड़सिंगी का चूर्ण शहद के साथ चटाने से बच्चों का अतिसार (दस्त) रोग ठीक हो जाता है।
सफेद कमल के केसर को पीसकर उसमें मिश्री और शहद को मिलाकर चावलों के पानी के साथ पिलाने से बच्चों को प्रवाहिका रोग समाप्त हो जाता है।
धान की खीलें, मुलेठी, खांड और शहद को एक साथ मिलाकर चावलों के पानी के साथ बच्चों को पिलाने से बच्चों का प्रवाहिका रोग ठीक हो जाता है।
कुटकी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चटाने से हिचकी बंद हो जाती है।
कटेरी के फूलों के केसर को पीसकर, उसे शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की पांचों तरह की खांसी दूर हो जाती है।
कुटकी को बारीक पीसकर और छानकर शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की बहुत पुरानी वमन (उल्टी) और हिचकी ठीक हो जाती है।
प्रियंगु, रसौत और नागरमोथा- इनकों बारीक पीसकर, शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की बढ़ी हुई प्यास, वमन (उल्टी) और दस्त इन रोगों से आराम हो जाता है।
लज्जालू, धाय के फूल, लोध और सरिवा का काढ़ा बनाकर ठंडा होने पर इसमें शहद मिलाकर पिलाने से पतले दस्त में भी आराम आ जाता है।
112. खून की कमी :
10 ग्राम शहद, 5 ग्राम आंवला, 200 मिलीलीटर गन्ने का रस मिलाकर पीने से खून के रोग में लाभ होता है।
113. होंठों का फटना :
20 ग्राम शहद में 10 ग्राम सुहागा मिलाकर दिन में तीन बार मलें। इससे होंठो का फटना दूर हो जाता है।
114. त्वचा का सूजकर मोटा और सख्त हो जाना :
डेढ़ ग्राम बड़ी इलायची के बीज को शहद में मिलाकर चटा दें और ऊपर से सनाय, अमलतास और बड़ी हरड़ को मिलाकर 25 ग्राम चूर्ण का काढ़ा बनाकर 50 ग्राम पिला दिया जाए तो त्वचा की सूजन में पूरी तरह से लाभ हो जाता है।
115. चेहरे की त्वचा का मुलायम और साफ होना :
शुद्ध (असली) शहद में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती है।
116. सौंदर्यप्रसाधन :
मजीठ को शहद में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झाइयां (चेहरे का कालापन) दूर हो जाती है।
शहद को चेहरे पर लगाकर दो घंटे तक लगा रहने दें। फिर दो घंटे के बाद चेहरे को गर्म पानी से धो लें। इससे चेहरे पर चमक आ जाती है।
117. गले में गांठ (कण्ठ शालूक) :
वरना की जड़ के काढ़े में समान मात्रा में घी और शहद मिलाकर पीने से कण्ठ शालूक (गले में गांठ) में आराम आता है।
1 ग्राम से 4 ग्राम चोपचीनी का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) समाप्त हो जाती है।
118. नाड़ी का घाव :
दारूहल्दी, थूहर का दूध और आक का दूध इन सब को मिलाकर एक बत्ती बना लें। उसके बाद उस बत्ती को नाड़ी के घाव पर लगाने से नाड़ी के रोग में जल्द आराम मिलता है।
119. कण्ठमाला (गले की गांठे) :
शहद में हरड़ का चूर्ण मिलाकर खाने से गले की गांठे ठीक हो जाती है।
100 ग्राम सिरस के बीज को पीसकर 300 ग्राम शहद में मिला लें, फिर इसे चीनी के बर्तन में 40 दिन तक रखा रहने दें।
40 दिन के बाद दस ग्राम दवा को पानी के साथ खाने से कण्ठमाला (गले की गांठे) की जो गिल्टियां (गांठे) निकल चुकी हों वह बैठ जायेंगी और दूसरी गिल्टियां (गांठे) नही निकलेगी।
120. शरीर को शक्तिशाली बनाना :
शहद 10 ग्राम, 5 ग्राम घी और 3 ग्राम आंवलासार गन्धक को लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर सेवन करने से शरीर को मजबूती मिलती है।
121. गलकोष प्रदाह :
5 से 10 मिलीलीटर भट्कटैया के फलों के रस को शहद के साथ सेवन करने से गलकोष प्रदाह (गले की जलन) में आराम आता है।

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