Wednesday, 8 June 2016

शहद से 122 रोगों का इलाज : /2/
43. दांत निकलना :
बच्चों के दांत निकलते समय मसूढ़ों पर शहद मलने से दांत निकलते समय दर्द में आराम रहता है।
44. मोतियाबिंद :
मोतियाबिंद शुरू होते ही निर्मली को शहद में घिसकर लगाने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
9 भाग छोटी मक्खी का शहद, 1 भाग अदरक का रस, 1 भाग नींबू का रस और 1 भाग सफेद प्याज का रस इन सबको मिलाकर और छानकर एक बूंद सुबह और शाम आंखों में डालते रहें इससे मोतियाबिंद दूर हो जाता है। इसमे 12 भाग गुलाब जल डालकर रोजाना इसी प्रकार डालने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और चश्मा हट जाता है।
स्वस्थ आंखों में असली शहद की एक सलाई हफ्ते मे 1 से 2 बार डालने से आंखों की रोशनी कभी कम नही होगी, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ तेज होती चली जायेगी। साथ ही खाने के लिए चार बादाम रात को पानी में भिगो कर रख लें और सुबह उठते ही चार काली मिर्च के साथ पीसकर मिश्री के साथ चाटे या वैसे ही चबा जाऐं और ऊपर से दूध पी लें।
45. निमोनिया :
निमोनिया रोग में रोगी के शरीर की पाचन-क्रिया प्रभावित होती है इसलिए सीने तथा पसलियों पर शुद्ध शहद की मालिश करें और थोड़ा सा शहद गुनगुने पानी में डालकर रोगी को पिलाने से इस रोग में लाभ होता है।
46. नखटन्ड :
10 मिलीलीटर शल्लकी स्वरस (रस) और 1 ग्राम शहद को मिलाकर दिन में 2 बार प्रयोग करना चाहिए।
1 ग्राम समुद्रफेन, 5 मिलीलीटर औरत का दूध और शहद का अंजन (काजल) को आंखों में रोजाना 2 बार प्रयोग करना चाहिए।
47. जीभ की प्रदाह और सूजन :
जीभ के रोग में शहद को घोलकर मुंह में भरकर रखने से जीभ के रोग में लाभ होता है।
48. घबराहट :
हृदय की घबराहट, दुर्बलता आदि जब मालूम हो एक कप गर्म पानी में दो चम्मच घोलकर पीजिए। नित्य दो-तीन बार मधु का सेवन अवश्य करें।
49. खून की उल्टी :
लाख के पानी में शहद मिलाकर पीने से खून की उल्टी होना रुक जाती है।
50. मुंह के छाले :
नीलाथोथा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को भुन पीसकर 10 ग्राम शहद में मिलालें। इस मिश्रण को रूई से छालों पर लगायें तथा लार बाहर निकलने दें। मुंह की गंदगी लार के रूप में मुंह से बाहर निकाल कर छालों को ठीक करती है।
51. गर्भावस्था का भोजन :
गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के समय रक्त बढ़ाने वाली चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की कमी नहीं होती है।
इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा मोटा और ताजा होता है। गर्भवती महिला को गर्भधारण के शुरू से ही या अंतिम तीन महीनों में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और मोटा ताजा होता है।
52. हिचकी का रोग :
शहद में उंगली डूबोकर दिन में 3 बार चाटने से हिचकी से आराम मिलता है।
शहद और काला नमक में नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से हिचकी से आराम मिलता है।
प्याज के रस में शहद मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।
53. कान का दर्द :
लगभग 3 ग्राम शहद, 6 मिलीलीटर अदरक का रस, 3 मिलीलीटर तिल का तेल और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक को एक साथ मिलाकर इसकी थोड़ी सी बूंदे कान में डालकर उसके ऊपर से रूई लगा देने से कान से कम सुनाई देना, कान का दर्द, कान में अजीब-अजीब सी आवाजे सुनाई देना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
5 मिलीलीटर सूरजमुखी के फूलों का रस, 5 ग्राम शहद, 5 मिलीलीटर तिल का तेल और 3 ग्राम नमक को मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
54. बहरापन :
शहद में समुद्रफेन को घिसकर कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
55. नपुंसकता :
शहद और दूध मिलाकर पीने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। और शरीर बलवान होता है।
56. कान का बहना :
शहद और नीम की गोंद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर कान में 2-2 बूंद डालने से कान मे से मवाद का बहना बंद हो जाता है।
57. कान के रोग :
शहद की 3-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
कान को अच्छी तरह से साफ करके उसमे रसौत, शहद और और औरत के दूध को एक साथ मिलाकर 2-3 बूंदे रोजाना 3 बार कान में डालने से कान में से मवाद का बहना बंद हो जाता है।
58. कान में कुछ पड़ जाना :
रूई की एक बत्ती बनाकर शहद में भिगो लें और कान में धीरे-धीरे से घुमायें। ऐसा करने से कान में जितने भी छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े होगें वो बत्ती के साथ चिपककर बाहर आ जायेंगे।
59. घाव :
पुराने से पुराने घाव में हरीतकी को पानी में पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से घाव शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
शहद लगाने से घाव जल्द भरते है।
60. कौआ गिरना :
4 से 6 ग्राम शहद को कालक का चूर्ण 1 से 3 ग्राम मिलाकर दिन में 2 बार लेने से रोग में लाभ होता है।
61. पक्षाघात-लकवा-फालिस फेसियल, परालिसिस :
लगभग 20 से 25 दिन तक रोजाना लगभग 150 ग्राम शहद शुद्ध पानी में मिलाकर रोगी को देने से शरीर का लकवा ठीक हो जाता है।
लगभग 28 मिलीलीटर पानी को उबालें और इस पानी के ठंडा होने पर उसमें दो चम्मच शहद डालकर पीड़ित व्यक्ति को पिलाने से कैल्शियम की मात्रा शरीर में उचित रूप में आ जाती है जोकि लकवे से पीड़ित भाग को ठीक करने में मददगार होती है।
62. आंव रक्त (पेचिश) :
शहद में एक चुटकी अफीम मिलाकर और उसमें घिसकर चाटने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
63. भगन्दर :
शहद और सेंधानमक को मिलाकर बत्ती बनायें। बत्ती को नासूर में रखने से भगन्दर रोग में आराम मिलता है।
64. मोच :
मोच के स्थान पर शहद और चूना मिलाकर हल्की मालिश करने से आराम होता है।
65. प्रसव में देरी :
स्त्री को गुनगुने गर्म पानी के टब में बैठायें तथा शहद में भिगोये हुए कपडे़ को पेट के नीचे भाग में रखे। इससे सर्दी का असर दूर हो जाता है और प्रसव हो जाता है।
66. प्यास अधिक लगना :
शहद को मुंह में भरकर कुछ देर तक रखकर कुल्ला करें। इससे तेज प्यास शांत हो जाती है।
पानी में शहद या चीनी मिलाकर पीने से गले की जलन व प्यास मिट जाती है।
20 ग्राम शहद को मुंह में 10 मिनट तक रखें फिर कुल्ला कर दें। इससे अधिक तेज प्यास भी शांत हो जाती है।
67. जलोदर :
20 ग्राम शहद में 40 मिलीलीटर पानी डालकर उबालकर रख लें, फिर इस पानी को पिलाने से जलोदर की बीमारी में लाभ होता है।
शहद और पीपल का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होगा।
68. मासिक स्राव :
शहद के साथ कबूतर की बीट मिलाकर खाने से रजोदर्शन (माहवारी) होता है और बांझपन दूर हो जाता है।
69. शीतपित्त :
केसर 6 ग्राम, शहद 25 ग्राम रोगी को सुबह-शाम खिलाने से शीतपित्त में लाभ मिलता है।
एक चम्मच शहद और एक चम्मच त्रिफला मिलाकर सुबह-शाम खाने से भी लाभ होता है।
70. मोटापा (स्थूलता) दूर करने के लिए :
120 ग्राम से लेकर 240 ग्राम शहद को 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में 3 बार खुराक के रूप में सेवन करें।
71. गिल्टी (ट्यूमर) :
चूना और शहद को अच्छी तरह से मिलाकर गिल्टी पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।
72. मोटापा बढ़ाना :
शहद का रोज दूध में मिलाकर सेवन करने से मोटापा बढ़ता हैं।
73. नींद में चलना :
शहद के साथ लगभग 1-2 ग्राम पोस्ता पीसकर इसको शहद में घोलकर रोजाना सोने से पहले रोगी को देने से अच्छी नींद आती है। इससे रोगी को आराम से नींद आ जाती है।
शहद के साथ लगभग 3-9 ग्राम बहेड़ा के चूर्ण को रोगी को सुबह और शाम को सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।
74. नींद ना आना (अनिद्रा) :
एक-एक चम्मच नींबू का रस और शहद को मिलाकर रात को सोने से पहले दो चम्मच पीने से नींद आ जाती है। जब नींद खुले तब दो चम्मच पुन: लेने पर नींद आ जाती है और यदि केवल पानी के गिलास में शहद की दो चम्मच डालकर पीने से नींद आ जाती है।
शहद या शर्करा के शर्बत में पोस्तादाना को पीसकर इसको घोलकर सेवन करने से नींद अच्छी आती है।
75. पेट के कीड़े :
दो चम्मच शहद को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर दिन में दो बार सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
थोड़ी मात्रा में सेवन करने से भी पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
76. आधासीसी (माइग्रेन) :
इस रोग में सूर्य उगने के साथ दर्द का बढ़ना और ढलने के साथ सिर दर्द का कम होना होता है, तो जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसके दूसरी ओर के नाक के नथुने में एक बूंद शहद डालने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
रोजाना भोजन के समय दो चम्मच शहद लेते रहने से आधे सिर में दर्द व उससे होने वाली उल्टी आदि बंद हो जाती हैं।
77. नाक के रोग :
शहद या गुड़ के साथ गूलर के पके हुए फल को खाने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
78. आक्षेप कंपकंपाना :
शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को चटाने से आक्षेप और मिर्गी में बहुत आराम आता है।
शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग जटामांसी का चूर्ण सुबह और शाम रोगी को देने से आक्षेप के दौरे ठीक हो जाते हैं।
79. पेट में दर्द :
शहद का प्रयोग करने से खाना खाने के बाद होने वाले पेट दर्द समाप्त होते है।
शहद और पानी मिलाकर पीने से पेट के दर्द में राहत मिलती है।
80. भूलने की बीमारी :
शहद के साथ लगभग तीन ग्राम कलौंजी का सुबह के समय सेवन करने से भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।
81. बुद्धि का विकास कम होना :
शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चांदी की भस्म सुबह और शाम को लेने से बुद्धि के विकास में वृद्धि होती है।
82. छाती का दर्द :
शहद और पीपल का पीसा हुआ चूर्ण छाछ के साथ पीने से छाती के दर्द में लाभ मिलता है।
83. चिड़चिडा स्वभाव और मन की उदासी दूर करना :
शहद के साथ गुल्म कुठार की लगभग 1 या 2 गोलियां सुबह और शाम को देने से चिड़चिड़ा स्वभाव और मन की उदासी दूर हो जाती है।
84. याददाश्त बढ़ाना :
शहद में लगभग 3 ग्राम कलौंजी का चूर्ण मिलाकर चाटने से याददास्त तेज हो जाती है।
लगभग 30 ग्राम शहद के साथ 20 ग्राम घी मिलाकर भोजन के बाद रोजाना लेने से दिमाग की याददास्त तेज होती है।
85. खाज-खुजली :
6 ग्राम से 10 ग्राम तक गर्म पानी में शहद मिलाकर 45 से 60 दिन तक लगातार पीने से हर प्रकार के चमड़ी के रोग, लाल चकते (निशान), खाज-खुजली ठीक हो जाते है। यहां तक की कोढ़ के रोग में भी आराम हो जाता है।
शुद्ध आमलासार गन्धक को शहद में मिलाकर खाने से खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है। गन्धक को रोगी के रोग के लक्षण के मुताबिक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक दे सकते है।
86. उच्चरक्तचाप कम करने के लिए:
उच्चरक्तचाप कम करने के लिए शहद का प्रयोग लगभग एक सप्ताह तक करें।
87. हृदय की दुर्बलता :
प्रतिदिन 5-7 ग्राम मधु पानी में मिलाकर पीने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
88. त्वचा के रोग :
फुंसियों पर असली शहद लगाने से त्वचा के रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
काली मिट्टी में थोड़ा सा शहद डालकर शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसिया हो वहां पर लगाने से लाभ होता है।
89. हाथ-पैरों की अकड़न :
हड़ताल की राख (भस्म) में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद को मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खाने से हाथ व पैरों की अकड़न दूर हो जाती है।
90. हृदय की दुर्बलता :
शहद हृदय को शक्ति देने के लिए विश्व की समस्त औषधियों से सर्वोत्तम हैं इससे हृदय इतना शक्तिशाली हो जाता है जैसे घोड़ा हरे जौ खाकर शक्ति प्राप्त करता है। शहद के प्रयोग से हृदय के पुट्टों की सूजन दूर हो जाती है। जहां यह रोग-ग्रस्त हृदय को शक्ति देता है वहां स्वस्थ हृदय को पुष्ट और शक्तिशाली बनाता है, हृदय फेल होने से बचाता है।
जब रक्त में ग्लाइकोजन के अभाव से रोगी को बेहोश होने का डर हो तो शहद खिलाकर रोगी को बेहोश होने से बचाया जा सकता हैं शहद मिनटों में रोगी में शक्ति व उत्तेजना पैदा करता हैं।
सर्दी या कमजोरी के कारण जब हृदय की धड़कन अधिक हो जाये, दम घुटने लगे तो दो चम्मच शहद सेवन करने से नवीन शक्ति मिलती है। हृदय की दुर्बलता, दिल बैठना आदि कोई कष्ट हो तो शहद की एक चम्मच पानी में डालकर पिलायें। एक चम्मच शहद प्रतिदिन लेने से हृदय सबल व मजबूत बनता है।
शहद से 122 रोगों का इलाज : /1/

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