प्रार्थनाएं हर बार नहीं सुनी जातीं,कैसी प्रार्थना से भगवान होते हैं प्रसन्न
लेकिन कई बार एक ही बार स्मरण से भगवान की कृपा प्राप्त हो जाती है।
उन शब्दों में ऐसा कौन सा जादू होता है, जिससे भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
प्रार्थना कभी खाली न जाए, इसमें ऐसा असर कैसे जगाया जाए। कहते हैं प्रार्थना
में शब्दों की जगह भाव होना चाहिए। कुछ नियम प्रार्थना के भी होते हैं।
हम जब मांगने पर आते हैं तो यह भी नहीं देखते कि हमारे लिए क्या जरुरी है और क्या नहीं। बस मंदिर पहुंचते ही भगवान के सामने अपनी मांग रख देते हैं। मांगने की भी मर्यादाएं होती हैं। अनुचित चीजें मांगने से सिर्फ समय और प्रार्थना की बर्बादी होती है।
मांगने का भाव त्याग दें
अपनी प्रार्थना में असर लाने के लिए भगवान से मांगने का भाव छोड़ दें।
हम जितना मांगेंगे, उतना कम मिलेगा। सही तरीका यह है कि जीवन भगवान के भरोसे छोड़ दें और अपना काम ठीक से करते चलें। फिर मांगने की जरुरत नहीं पड़ेगी। जो आवश्यकता होगी, वो स्वतः ही मिल जाएगा।
गुजरात के प्रसिद्ध संत हुए हैं नरसि मेहता ( नरसिंह मेहता ) !
नरसि मेहता बड़े नगर सेठ थे। उनकी एक बेटी थी। वे श्रीकृष्ण भक्त्ति में इतने लीन थे कि अपनी सारी दौलत गरीबों और जरूरतमंदों को दान कर दी। उनका अंदाज भी फ़कीराना हो गया। लोग समझाते कि कभी तुमको कोई जरूरत पड़ी तो क्या करोगे। फिर कहां से इतना धन आएगा। मेहता कहते कि सांवरिया सेठ भगवान श्रीकृष्ण करेंगे। बेटी के ससुराल में एक समारोह हुआ। नरसि मेहता को मायरे की भेंट देनी थी लेकिन पास में एक पैसा भी नहीं था। वो खाली हाथ ही चल दिए।
भगवान का नाम जपते चल रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि ऐसे खाली हाथ जाएगा तो मेरे भक्त्त की इज्जत क्या रह जाएगी। भगवान खुद गाड़ी भरकर मायरे का सामान लेकर नरसि मेहता की बेटी के ससुराल पहुंच गए।
हमारी प्रार्थना में भाव समर्पण का होना चाहिए,
इसके बाद तो भगवान बिना मांगे ही सब दे देते हैं।
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