"सुकदेव एक मुक्त #आत्मा हैं और वामदेव भी मुक्त आत्मा हैं। इन दोनों के मुक्ति मार्ग के आलावा कोई मुक्ति मार्ग नहीं है। जो साहसी मनुष्य सुकदेव का मार्ग चुनता है वो तुरंत साध्य मुक्त हो जाता है।"
"जबकी वो लोग जो वामदेव के मार्ग पर चलते हैं उन्हें बार बार जन्म लेकर अपने सात्विक योग कर्मों को करना पड़ता है।"
"इस तरह के दोनों मार्ग देवताओं के देवता शिव द्वारा प्रदान किये गए हैं। सुक के मार्ग को पक्षी का मार्ग और वामदेव के मार्ग को चीटी का मार्ग कहा गया है।"
" जो लोग निष्काम कर्म, भक्ति योग और सांख्य के द्वारा अपनी आत्मा को जानकार परमपद को प्राप्त करते हैं उनके सुकदेव के मार्ग पर चलने वाला कहा जाता है।"
"लेकिन कठिन हठयोग, समाधी और यम से स्वयं को कष्ट देना और फिर अणिमा आदि सिद्धियों द्वारा मार्ग में बढ़ा आ जाने से फिर से जन्म लेकर हठयोग करना।"
" ऐसे बार बार जन्म लेकर #विष्णु को प्राप्त करने की क्रिया को ही वामदेव का मार्ग कहते हैं। इस तरह मुक्ति के दो मार्ग हैं, एक वो जो शीघ्र ही मोक्ष देता है और एक वो जो शनै शनै मोक्ष देता है।"
- वाराह उपनिषद
#सुकदेव का मार्ग ही "श्री मद्भागवत महापुराण" है। जो भगवान् #शिव ने शीघ्र मुक्ति के लिए जीवों को प्रदान किया है। इसी दिव्य पुराण से राजा #परीक्षित मुक्त हो गए थे और उस समय के हठयोगी हज़ारों साल तप करके भी विष्णु को प्राप्त नहीं कर पाये थे।
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